सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल में हस्तक्षेप के लिए दायर याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार करते हुए कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट का काम अपने हाथ में नहीं ले सकता। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाले पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा- हम दिल्ली हाई कोर्ट का काम अपने हाथ में नहीं ले सकते। किसी अंतरिम आदेश के खिलाफ हमारे पास नहीं आएं। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता राहुल बिड़ला से कहा कि अपनी समस्याआें के साथ वापस हाई कोर्ट जाएं।

बिड़ला के वकील ने इस मामले में शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा था कि हाई कोर्ट में प्रभावी सुनवाई नहीं हो रही है और उसने तो इस मामले को दस फरवरी के लिए स्थगित कर दिया है। पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि सिर्फ इस आधार पर अपील दायर नहीं की जा सकती कि नीचे की अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी है। बिड़ला ने इससे पहले हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि नगर निगम के कर्मचारियों को 2003 से वेतन और बकाए का भुगतान नहीं होने के कारण सफाई कर्मचारी सड़कों से कचरा नहीं हटा रहे हैं।

नगर निगम ने दो फरवरी को हाई कोर्ट से कहा था कि उनके पास जनवरी 2016 और अगले महीनों का वेतन देने के लिए धन नहीं है। नगर निगम ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने वह पूरी राशि जारी नहीं की है जो उसे हर साल उन्हें देनी चाहिए। इस पर सरकार ने दलील दी थी कि उसने योजना मद और गैर योजना मद में देय राशि का भुगतान कर दिया है और साल दर साल खराब कामकाज के मद्देनजर निगम में सुधार के लिए धन उन्हें नहीं दिया जाएगा। निगम सुधार कोष उसे दिल्ली के लिए तीसरे वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत दिया जाता है।
सरकार ने अदालत को बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण पर तीनों निगमों का 1555 करोड़ रुपए से अधिक का भवन कर बकाया है। इस पर अदालत ने प्राधिकरण और केंद्र से इस पर जवाब मांगते हुए सुनवाई दस फरवरी के लिए स्थगित कर दी थी।