सुप्रीम कोर्ट ने आज बीजेपी नेता मुकुल रॉय और कैलाश विजयवर्गीय समेत बाकी पार्टी नेताओं को बड़ी राहत दी। पश्चिम बंगाल में इन नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में कोर्ट ने इन्हें आज अंतरिम सुरक्षा दी। कोर्ट ने बंगाल पुलिस को मामले में अगली सुनवाई तक कोई भी कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने भाजपा नेताओं द्वारा दायर पांच अलग-अलग याचिकाओं पर पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब भी मांगा है।

बता दें कि मुकुल रॉय और बीजेपी बंगाल इकाई के बाकी छह नेताओं ने सत्तारूढ़ टीएमसी पर पुलिस का बीजेपी नेताओं के खिलाफ दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया है। मामले में नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं, में भाजपा सांसद अर्जुन सिंह और कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हैं। नेताओं ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों की किसी अन्य “स्वतंत्र” जांच एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग की है।

भाजपा नेताओं ने दावा किया कि अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए उन पर झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सभी मामलों में एक समान पैटर्न का पालन किया गया था, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद इन याचिकाकर्ताओं में से अधिकांश के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे।

रॉय,विजयवर्गीय और सिंह के अलावा, दो अन्य भाजपा नेता -सौरव सिंह और पवन कुमार सिंह – अपने खिलाफ दर्ज मामलों में सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत पहुंचे थे। पीठ ने इन पांच नेताओं को सुरक्षा प्रदान करते हुए, गृह मंत्रालय को टीएमसी कार्यकर्ताओं और पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षा कर्मचारियों के बीच झड़प के मामले में एक सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया।

बता दें कि भाजपा नेता कबीर शंकर बोस ने सुप्रीम कोर्ट में एक अलग याचिका दायर की है। कबीर बोस की याचिका को छोड़कर, बाकी मामलों में पीठ ने कहा, “सुनवाई की अगली तारीख तक, किसी भी मामले में कोई भी कठोर कदम याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।” वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी भाजपा नेताओं के लिए उपस्थित हुए, जबकि वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कबीर बोस का प्रतिनिधित्व किया।