सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) के गठन में हो रही देरी पर चिंता जताई है। उसने सरकार से पूछा है कि वह इसमें इतना विलंब क्यों कर रही है? प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुवाई वाले पीठ ने महान्यायवादी रंजीत कुमार से कहा कि वे इंदु प्रकाश सिंह की ओर से दायर अवमानना याचिका पर केंद्र से निर्देश मांगें।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार की ओर से सारी औपचारिकताएं पूरी कर लिए जाने और संबंधित सिफारिश उपराज्यपाल को भेज दिए जाने के बावजूद आज तक केंद्र ने कुछ नहीं किया है। वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि यह देरी केंद्र की ओर से हो रही है क्योंकि दिल्ली सरकार की ओर से एसएचआरसी के गठन की सिफारिश उपराज्यपाल को पहले ही भेजी जा चुकी है।
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल पूछा था कि दिल्ली में एसएचआरसी का गठन क्यों नहीं किया गया है? इसके साथ ही अदालत ने अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड को भी राज्य मानवाधिकार आयोगों का गठन करने के निर्देश दिए थे। सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि क्या पूर्वोत्तर के राज्यों ने एसएचआरसी के गठन से जुड़े निर्देशों का पालन किया है? इस पर गोंजाल्वेस ने कहा कि उन्हें वहां की स्थिति की जानकारी नहीं है।
तब पीठ ने कहा- आपको पूर्वोत्तर के राज्यों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। अदालत ने पिछले साल जुलाई में राज्य सरकारों की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें सरकारों ने कहा था कि राज्य मानवाधिकार आयोगों का गठन उनके लिए अनिवार्य नहीं है। पीठ ने कहा था कि मानवाधिकारों का महत्व और उनकी सुरक्षा करने और उन्हें लागू किए जाने की जरूरत किसी भी बहस के दायरे से परे है।