छत्तीसगढ़ के सुकमा में राज्य सरकार द्वारा रविवार ( 10 मार्च) को पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया गया था। ऐसे में उनकी नियुक्ति के एक महीने के अंदर ही ट्रांसफर होने की वजह से अब ये खबर सुर्खियां बटोर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्ला का यह ट्रांसफर छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के कहने पर करवाया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने उनके कहने के बावजूद थाना प्रभारी सुरेंद्र पांभोई का ट्रांसफर करने से मना कर दिया था।
क्या है पूरा मामला: दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कवासी लखमा (आबकारी और उद्योग मंत्री) ने 15 फरवरी को सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने सुरेंद्र पांभोई को फूलबगड़ी के थाना प्रभारी पद से हटाकर चिंदगड़ या तोंगपाल के थानाप्रभारी पद पर ट्रांसफर करने को लेकर पत्र लिखा था। लेकिन पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने ऐसा नहीं किया। 6 दिन बाद शुक्ला ने मंत्री को पत्र लिखकर कहा- जिले में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक की होती है, और वो यह जिम्मेदारी अपने नीचे काम कर रहे थाना प्रभारियों की मदद लेकर पूरी करते हैं। साथ ही इस बात का फैसला लेने का अधिकार केवल उन्हें है कि वो कौनसे अधिकारी का ट्रांसफर करें। एक पुलिस अधीक्षक पर किसी भी तरह का दबाव बनाना सही बात नहीं है। इसलिए ऐसे में मेरे लिए सुरेंद्र पांभोई का ट्रांसफर करना संभव नहीं है।
कांग्रेस की प्रतिक्रियाः इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने प्रेस रिलीज जारी कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कवासी सुकमा जिले से पांच बार विधायक रह चुके हैं ऐसे में वो जिले की स्थिति को बेहतर समझते हैं। कांग्रेस ने कहा कि पुलिस अधिक्षक शुक्ला को कांग्रेस नेता कवासी की बात को संज्ञान में लेना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। साथ ही पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला को वरिष्ठ मंत्री को इस पूरे मामले में जवाब उचित तरीके से देना चाहिए था। बता दें कि शुक्ला को अब रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है।
भाजपा ने कांग्रेस पर किया हमला: इस पूरी घटना पर भाजपा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए इसे कांग्रेस की प्रशासनिक अक्षमता करार दिया है। उन्होंने कहा नक्सल प्रभावित जिलों जैसे सुकमा में अधिकारियों को अपने तरीके से काम करने की आजादी होनी चाहिए। उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाना चाहिए। दंतेवाड़ा के पूर्व जिला मजिस्ट्रेट और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने पुलिस अधीक्षक शुक्ला के तबादले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों के काम में दखल दिया जाना सही बात नहीं है इससे उनकी अपने तरीके से काम करने की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। साथ ही इस प्रकार के नक्सली इलाकों में जो अधिकारी माओवादियों से लड़कर आम जनता की सेवा करते हैं उनका मनोबल पर भी प्रभाव पड़ता है।