भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) परिसर में राम जन्मभूमि पर एक सेमिनार का विरोध करने वालों को शुक्रवार को आड़े हाथों लिया और उन्हें ‘‘असहिष्णु’’ करार दिया वहीं छात्रों और शिक्षकों ने कहा कि वे शनिवार को आयोजन स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘तथाकथित असहिष्णुता को लेकर काफी होहल्ला होता रहा है, वह असहिष्णुता कहां चली गयी? यह सेमिनार ऐसे विषय पर है जो काफी महत्वपूर्ण है, इसमें नेता भाग नहीं ले रहे हैं बल्कि इतिहासकार, शोधकर्ता और शिक्षाविद शामिल हो रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तब क्या आपत्ति है? आपत्ति करने वाले ये सभी वामपंथी लोग और नक्सली हैं। अगर वे बाहर प्रदर्शन करना चाहते हैं, वे कर सकते हैं लेकिन अगर कानून व्यवस्था को बाधित करते हैं तो पुलिस को उचित कार्रवाई करनी चाहिए।’’
विहिप के दिवंगत नेता अशोक सिंघल द्वारा स्थापित शोध संस्थान अरूंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में इस दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इसका शीर्षक ‘‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर (उभरते परिदृश्य) है।
स्वामी इस संगठन के अध्यक्ष हैं। उनका सेमिनार में उद्घाटन भाषण देने का कार्यक्रम है। इस सेमिनार में इतिहासकार, पुरातत्वविद और कानून विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे। इन विषयों में ‘‘भगवान राम का चरित्र और मूल्य, भारतीय संस्कृति में उनके प्रभाव’’, ‘‘राममंदिर का इतिहास अैर संबंधित पुरातत्व तथ्य’’, ‘‘राम मंदिर से जुड़े कानूनी पहलू ’’ और ‘‘राम मंदिर के अनुभव तथा भविष्य’’ आदि शामिल हैं।
छात्रों और शिक्षकों के विभिन्न समूह गैर-शिक्षण आयोजन के लिए अपने परिसर की पेशकश करने के लिए विश्वविद्यालय के फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि यह परिसर को सांप्रदायिक करने का प्रयास है। उनकी मांग है कि अनुरोध को वापस लिया जाए।
अपनी मांगों पर विश्वविद्यालय से सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को कहा कि वे शनिवार को आयोजनस्थल के बाहर प्रदर्शन करेंगे। क्रांतिकारी युवा संगठन ने एक बयान में कहा कि किसी ऐसे विषय जो हमेशा विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच विवाद का मुद्दा रहा है पर चर्चा के बदले गरीबी, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे कई ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे विचार करने के लायक हैं। हम कल इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
विश्वविद्यालय में प्रोफेसर शाश्वती मजूमदार ने कहा कि इस प्रकार के विभाजनकारी सेमिनारों या ऐसे व्याख्यानों के लिए विश्वविद्यालय स्थान नहीं है जो सिर्फ एकतरफा विचारधारा का प्रचार करता है। उधर दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि सेमिनार के विषय से उनका कोई लेनादेना नहीं है और संगठन ने कार्यक्रम के लिए आयोजन स्थल बुक किया है जो बाहरी लोगों के लिए किराए पर उपलब्ध है।