जिले में जमीन को ठेके पर लेकर मजदूर परिवार ने महंगी फसलों को उगाकर किसान की आमदनी को बढ़ाने के प्रयोग को सफल कर दिखाया है। मोरना क्षेत्र मे खेतीहर मजदूर गोपाल सैनी ने कठिन परिश्रम व नई सोच के सहारे व परांपरागत फसलों से हट कर स्ट्रॉबेरी जैसी महंगी फसल को उगाने सफलता पाई है। ग्राम भोपा निवासी के मजदूर गोपाल सैनी पुत्र बलजीत सैनी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की है। कम शिक्षित होने के बावजूद गोपाल सैनी का आत्मविश्वास शिक्षितों से जरा भी कम नहीं है। भोपा स्थित गंगनहर पुल के पास गोपाल सैनी ने बीघा भूमि को ठेके पर लेकर उसमें पिछले कुछ सालों से विभिन्न प्रकार की महंगी फसलों को उगाया है।
हाल ही में गोपाल सैनी ने अपने प्रयासों को नया आयाम देते हुए पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी की महंगी फसल को उगाकर एक सफल प्रयोग किया है। हिमाचल प्रदेश के शिमला से हजार पौधों को लाकर दो बीघा भूमि में सितंबर माह में रोपित किया गया था। फरवरी के पहले सप्ताह से स्ट्रॉबेरी का उत्पादन शुरू हो गया है। गोपाल सैनी ने बताया कि एक बार फिर उसका प्रयोग सफल रहा है। स्ट्रॉबेरी उत्पादन शुरू हो जाने से उसकी आधुनिक सोच को बल मिला है। मुजफ्फरनगर की मंडी से स्ट्रॉबेरी खरीदने वाले स्वयं उसके खेतों पर आकर स्ट्रॉबेरी की मांग कर रहे हैं। उसके के जरिए उगाआ गई स्ट्रॉबेरी क्षेत्र में बिकने वाली स्ट्रॉबेरी से अधिक बेहतर है।
स्ट्रॉबेरी की पैदावार के लिए दो मेंढों के बीच ढाई फुट की दूरी रखी गई और प्रत्येक पौधे की आपसी दूरी को इंच तक रखा गया है। फल को गलने से बचाने के लिए पूरे खेत में पलीथीन को प्रयोग में लाया गया है और विशेष बात यह है कि स्ट्रॉबेरी पर किसी प्रकार के कीटनाशक आदि का भी प्रयोग नहीं किया गया है। प्रत्येक पौधे से ग्राम स्ट्रॉबेरी के उत्पादन का अनुमान है।

