’दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के एक दिन बाद नौ जुलाई से कश्मीर घाटी में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।  ’त्योहार की पूर्व संध्या पर बेकरी, मिठाई और कपड़ों की दुकानों पर ग्राहकों की आमतौर पर भारी भीड़ देखने को मिलती थी, लेकिन इन सभी दुकानों के बंद रहने के कारण रौनक गायब रही। ’युवाओं का कुछ समूह घरों से निकल कर विभिन्न बाजारों को बंद कराते हैं और ऐसे में छूट के दौरान भी दुकानदारों को बंद रखने को मजबूर होना पड़ता है।दुकानें बंद होने से रौनक गायब”

कश्मीर में ईद उल अजहा की पूर्व संध्या पर रहने वाली रौनक और चहल-पहल सोमवार को फीकी रही। यहां पर जुलाई से लगातार हिंसा और बंद के कारण जनजीवन प्रभावित है। इसी कारण बाजारों में चहल-पहल नहीं है। अलगाववादियों के हड़ताल के आह्वान के बावजूद कुछ सड़कों विशेषकर शहर के मध्य लाल चौक और आसपास के इलाकों में खासी संख्या में निजी वाहनों की आवाजाही हुई जबकि दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। त्योहार की पूर्व संध्या पर बेकरी, मिठाई और कपड़ों की दुकानों पर ग्राहकों की आमतौर पर भारी भीड़ देखने को मिलती थी, लेकिन इन सभी दुकानों के बंद रहने के कारण रौनक गायब रही। संभ्रांत बाजार रेजीडेंसी रोड पर मशहूर मिठाई और बेकरी की दुकान ‘मॉर्डन स्वीट्स’ के बाहर एक पोस्टर लगा है जिस पर लिखा है कि ‘ईद पर किसी तरह की बेकरी उपलब्ध नहीं है।’ मॉर्डन स्वीट्स के सामने शक्ति स्वीट्स भी बंद पड़ी है।

हालांकि, शहर के कई स्थानों पर कुर्बानी के लिए जानवरों की बिक्री जारी है। मवेशी विक्रेता अल्ताफ अहमद ने बताया, ‘आमतौर पर ईद उल अजहा की पूर्व संख्या पर हमारी जितनी बिक्री होती है उसके मुकाबले यह करीब 10 फीसद है। मुझे नहीं लगता है कि त्योहार के 24 घंटे से भी कम समय रह जाने के कारण इसमें किसी तरह की बढ़ोतरी होगी।’
अलगाववादी समूहों ने लोगों से सादगी से ईद मनाने की अपील की है। दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के एक दिन बाद नौ जुलाई से कश्मीर घाटी में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

सुरक्षा बलों के साथ संघर्षों में पिछले 65 दिनों में दो पुलिसकर्मी सहित 76 लोग मारे गए हैं और हजारों अन्य घायल हो गए हैं। अलगाववादी कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के क्रियान्वयन की मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के स्थानीय कार्यालय तक मंगलवार को मार्च निकाल सकते हैं। इस योजना को विफल करने के लिए अधिकारियों द्वारा कश्मीर के कुछ इलाकों में कर्फ्यू और प्रतिबंध लगाए जाने की उम्मीद है। अलगाववादियों द्वारा प्राय: शाम के समय बंद में छूट दी जाती है। इसके कारण संभावना है कि शाम के दौरान दुकानें खुलेंगी। हालांकि, युवाओं का कुछ समूह घरों से निकल कर विभिन्न बाजारों को बंद कराते हैं और ऐसे में छूट के दौरान भी दुकानदारों को बंद रखने को मजबूर होना पड़ता है।
युवकों की इन गतिविधियों के चलते कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस ने एक बयान जारी कर लोगों को अक्षरश: विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम का पालन करना चाहिए।