मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आम आदमी पर करों का बोझ थोपने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने के लिए शुक्रवार को केंद्र सरकार की जम कर खिंचाई की। उन्होंने कहा कि सेवा कर और चुंगी के चलते लोगों का खर्च लगातार बढ़ रहा है। मेडिक्लेम का बिल भी 17 हजार से बढ़ कर 32 हजार हो गया है। वे नई सरकार की पहली प्रशासनिक समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रही थीं।

ममता ने आधार कार्ड के मुद्दे पर केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि अब भी 20 से 30 फीसद आबादी के पास यह कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्ड नहीं होने की वजह से गरीब लोग सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले फायदों और धन से वंचित रह जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विधानसभा चुनावों के चलते बीते कुछ महीनों से ठप पड़े विकास कार्यों को दोबारा शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष के दौरान विकास के मद में बजट प्रावधानों से ज्यादा खर्च हुआ है। इस दौरान योजनागत खर्चों के लिए 49 हजार 507 करोड़ का प्रावधान रखा गया था लेकिन खर्च हुए 53 हजार 10 करोड़। ममता ने कहा कि दूसरे राज्यों में योजनागत खर्चों के लिए बजट में आवंटित रकम पूरी तरह खर्च नहीं हो पाती। लेकिन राज्य सरकार ने 15 फीसद ज्यादा खर्च किया है। उन्होंने दावा किया कि बीते 20 वर्षों में राज्य में इसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि वित्त विभाग ने चालू वित्त वर्ष के लिए 11 हजार 573 करोड़ रुपए जारी किए हैं। उनको शीघ्र खर्च करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। ममता ने कहा कि वर्ष 2010-11 के दौरान योजनागत खर्चों के लिए 14 हजार करोड़ का प्रावधान था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने इसे लगभग चार गुना बढ़ा दिया है। उन्होंने आंकड़ों के हवाले बताया कि बीते साल योजनागत खर्चों के लिए जिस रकम का प्रावधान रखा गया था वह उसके पिछले साल के मुकाबले लगभग 25 फीसद ज्यादा थी। ममता ने इस खर्च में सालाना दर पर 35 फीसद वृद्धि का दावा किया।

उन्होंने कहा कि 31 मार्च को हुए विवेकानंद फ्लाईओवर हादसे को ध्यान में रखते हुए तमाम ब्रिजों व फ्लाईओवरों की हालत की जांच और निगरानी के निर्देश दे दिए गए हैं। इस मौके पर बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने बताया कि राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड ने बिलों के भुगतान के लिए एक नया मोबाइल एप लांच किया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 के आखिर तक तमाम सरकारी दफ्तरों में पूरी तरह सौर ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। सरकार चालू वित्त वर्ष के भीतर ही ग्रामीण विद्युतीकरण का सौ फीसद लक्ष्य हासिल कर लेना चाहती है।