पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने राजनीतिक भविष्य की योजनाओं को लेकर लोगों को कयास लगाने की स्थिति में ला दिया है, हालांकि एक समय उनका आम आदमी पार्टी में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा था। आप ने गुरुवार को कहा कि राज्यसभा से इस्तीफा देना उनका अपना फैसला था और पार्टी में शामिल होने का फैसला भी ‘पूरी तरह से’ उनका होगा। सिद्धू ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की, लेकिन पार्टी की ओर से इस मुलाकात के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा, ‘राज्यसभा से इस्तीफा देना सिद्धू का फैसला था और हमने इसका स्वागत किया था। अब, पार्टी में शामिल होने का फैसला पूरी तरह से उनका होगा। पंजाब के लोग फैसला करेंगे कि उनका विधायक और मुख्यमंत्री कौन होगा’। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि वे पार्टी में शामिल होंगे। और अगर शामिल होंगे तो यह नहीं पता कि कब। उनके शामिल होने की इच्छा जताने से पहले ही पंजाब में आप की हवा बनी हुई है। ऐसे में चीजें उस तरह नहीं होंगी जैसा वे चाहते हैं’। बहरहाल, पंजाब से पार्टी के एक नेता ने कहा कि सिद्धू जल्द ही आप में शामिल होंगे। पिछले महीने राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू ने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था, हालांकि अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर चुप्पी साधे रखी।

अटकलें हैं कि सिद्धू पंजाब में आप की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवर बनने और अपनी पत्नी नवजोत कौर के लिए टिकट की शर्त के साथ बातचीत कर रहे हंै। नवजोत कौर अमृतसर (ग्रामीण) से भाजपा की विधायक हैं। गौरतलब है कि सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के इन आरोपों पर कि वीके सिंह ने सेनाध्यक्ष रहने के दौरान उन्हें बहुत परेशान किया, आम आदमी पार्टी (आप) ने गुरुवार को कहा कि मंत्री अब ‘राष्ट्रीय बोझ’ हो गए हैं और उनकी बर्खास्तगी की मांग की। पार्टी ने कहा कि दलबीर सिंह के दावे से गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं जिनका प्रधानमंत्री को समाधान करना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा, ‘ऐसा व्यक्ति जो सेना में कलह पैदा करना चाहता था, सेना प्रमुख के रूप में जिसका ट्रैक रिकार्ड उसके उम्र विवाद जैसे विवादों के साये में रहा हो, जिसने मंत्रियों की जासूसी करने के लिए समानांतर शाखा बना दी’। चड्ढा ने कहा, ‘ऐसा व्यक्ति भाजपा के लिए राजनीतिक बोझ बन गया था लेकिन अब वह राष्ट्रीय बोझ बन गया है। उसे तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए’।

एक अप्रत्याशित कदम के तहत सेना प्रमुख ने अपने पूर्ववर्ती पर प्रहार किया है। जनरल दलबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह, जो अब मंत्री हैं, उन्हें परेशान करना चाहते थे, और इस कवायद का एकमात्र उद्देश्य उन्हें सेना के कमांडर के रूप में प्रोन्नति से वंचित करना था।