बीते दिनों एक घटना को लेकर जिला पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी असमंजस की स्थिति में नजर आईं। एक मामले को लेकर अधिकारी ने पहले बयान जारी कर कहा कि शख्स की हत्या हुई है। पर दूसरे ही दिन अधिकारी ने कहा कि मौत की वजह साफ नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सही कारणों का पता चल सकेगा। यही नहीं, शुरुआत में अधिकारी ने कहा कि कुछ लोगों को इस मामले में हिरासत में भी लिया गया है। पर जब सवाल पूछा गया कि वे कौन लोग हैं और मरने वाले शख्स से उन लोगों के क्या संबंध हैं तो अधिकारी ने चुप्पी साध ली। वो क्या है न कि मामला जम्मू-कश्मीर से जुड़ा था। इस कारण वे आधिकारिक बयान देने से परहेज करती दिखीं, लेकिन बयान को लेकर जब उन पर दबाव बनाया गया तो उन्होंने कहा कि फिलहाल जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। तब कही जा के बेदिल को मालूम पड़ा कि अब उन्हें कौन बताए कि घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद अधिकारी को संबंधित अधिकारियों ने सही जानकारी ही नहीं दी, जिसे मीडिया में जारी किया जा सके।
कार्यकर्ता की करतूत
एक पार्टी की रैली में कार्यकर्ता इस कदर उत्साहित दिखे कि उन्हें न आगे दिख रहा था न ही पीछे। जहां मन वहां पोस्टर चिपकाते हुए अपने आका की नजर में वाहवाही बटोरने में लगे थे। दिल्ली से सटे नोएडा में आयोजित इस रैली में एक ऐसे ही उत्साहित कार्यकर्ता की करतूत से भीड़ जुट गई। स्थानीय लोग जुटने लगे तो बाद में पता चला कि कोई मामला नहीं है, सिर्फ कार्यकर्ता का फिजूल उत्साह है। दरअसल हुआ यह था कि कार्यकर्ता नोएडा के एक चौराहे पर मूर्ति के सिर पर रैली का पोस्टर चिपकाना चाहता था। ताकि वह आकर्षण का केंद्र बन सके। उसे कुछ लोग मना कर रहे थे और इसी दौरान वहां भारी भीड़ जुट गई। बेदिल ने जब भीड़ में मौजूद कुछ लोगों से पूछा तो जवाब मिला, कार्यकर्ता अतिउत्साह में चूर है। तभी वहां अन्य मौजूद लोगों की हंसी छूट गई।
और फल लपका
दूसरों की मेहनत का श्रेय लेने में राजनीतिक दलों का कोई जवाब नहीं। अब दिल्ली में इन दिनों चल रहे अतिथि शिक्षकों के धरने प्रदर्शन को ही लीजिए। शिक्षक अपनी लंबित मांगों के लिए कभी मुख्यमंत्री आवास पर तो कभी दिल्ली सचिवालय पर धरना दे रहे हैं। अब एक राजनीतिक पार्टी को लगा कि क्यों नहीं वे इसका फायदा उठाएं। बस, उन्होंने योजना पर काम किया और पहुंच गए प्रदर्शन में। जब अतिथि शिक्षकों ने उप मुख्यमंत्री आवास के बार प्रदर्शन करने का फैसला लिया तो उस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं के साथ वहां जुट गए। यही नहीं बकायदा प्रेस कांफ्रेस कर अपनी पार्टी की तरफ से सहयोग का डंका भी पीट दिया। तभी बेदिल ने किसी को कहते सुना, मेहनत शिक्षकों का फल लपक लिया नेता जी ने।
अकाली में ‘अकाल ’
दिल्ली के अकाली दल में नेताओं का अकाल पड़ता जा रहा है। यह चर्चा इन दिनों सिख सियासत के गलियारे में जोरों पर है। पहले शिरोमणि अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा ने पार्टी से नाता तोड़ा अब कुलदीप सिंह भोगल ने। भोगल तो वहां उपाध्यक्ष भी थे, फिर भी नहीं टिक पाए। उन्होंने सिरसा के साथ भाजपा का दामन थाम लिया। चर्चा है कि कुछ और नेताओं को वहां से तोड़ने की तैयारी है। अब देखना होगा कि अगला नाम किसका है। एक तरफ दिल्ली की राजनीति में अकाली दल में नेताओं का अकाल होता जा रहा हो लेकिन भाजपाई खेमें में भीड़ बढ़ी है। माना जा रहा है कि कुलदीप सिंह भोगल के भाजपा में आने के बाद निगम चुनाव में पार्टी को बहुत मदद मिलेगी। कहना न होगा कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की चाहे जो कद बरकरार रहे लेकिन दिल्ली में तो पार्टी के खेवनहारों का अकाल है।
तकरार से प्यार
उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनावों की सरगर्मी शुरू होने के साथ ही सत्ताधारी दल से टिकट मांगने वालों की फेहरिस्त भी लंबी होती जा रही है। यहां तक कि भारी अंतर से जीते निवर्तमान विधायक भी अपनी टिकट को सुरक्षित नहीं बता पा रहे हैं। किसे टिकट मिलेगी और उसके लिए क्या चक्रव्यूह रचना होगा, टिकट चाहने वाले इसका मंथन करने में जुटे हैं। ऐसे में गत दिनों गाजियाबाद में हुई जन विश्वास यात्रा के दौरान दो टिकट दावेदारों के बीच हुई तकरार का वीडियो वायरल हुआ। वीडियो ने मौजूदा विधायकों को राहत जरूर पहुंचाई। बेदिल को पता चला कि क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व महानगर अध्यक्ष के बीच मंच लगाने को लेकर तकरार हुई थी। जिसे प्रशासनिक अधिकारियों ने शांत कराया था। इस यात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट से और पूर्व महानगर अध्यक्ष साहिबाबाद क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। दोनों के बीच वायरल हुए तकरार के वीडियो से इन सीटों से निवर्तमान विधायकों को राहत की सांस जरूर मिली है।
बयान पर बयान
नेताओं के बयानबाजी पर गोर करें तो कई बार देखने में आता है कि जो वो कह रहे हैं वह सच्चाई से कितना दूर है। इसकी एक बानगी बेदिल को हाल के दिनों में देखने को मिली। मामला था दिल्ली में प्रदूषण का जिस पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री पूरी संजीदगी दिखाते हुए बयान दे रहे थे कि दिल्ली में जैसे ही प्रदूषण का स्तर बिगडेÞगा हम तुरंत जरूरी कदम उठाएंगे और मजे की बात यह रही कि जब मंत्री यह बात कह रहे थे उस वक्त दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ा हुआ था। यह ही नहीं यह खतरनाक स्तर तब तक पिछले चौबीस घंटे से भी अधिक समय से बना हुआ था। इस पर एक खबरनवीस ने टिप्पणी की कि खतरनाक से भी अधिक कुछ होता है क्या जब मंत्री जी कदम उठाएंगे?
-बेदिल
बोल के शांत
बीते दिनों एक घटना को लेकर जिला पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी असमंजस की स्थिति में नजर आईं।
Written by जनसत्ता
नई दिल्ली

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First published on: 27-12-2021 at 03:23 IST