सोनिया गांधी मंगलवार को नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए वाराणसी में रोड शो करेंगी। कांग्रेसी सोनिया के इस मेगा शो को उत्तर प्रदेश उद्घोष का हिस्सा करार दे रहे हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान वाराणसी में मोदी सरकार के ढाई साल के दौरान जमीन पर उतरे विकास की हकीकत जांचने की कोशिश में है। इसी वजह से प्रशांत किशोर की टीम के सदस्य एक पखवाड़े से काशी प्रवास पर हैं। दरअसल काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद सोनिया गांधी रोड शो करेंगी जिसमें जगह-जगह नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों की सत्यता जनता से सवालों की शक्ल में पूछी जाएगी।
शास्त्रीय संगीत और साहित्यकारों की इस धार्मिक नगरी में गंगा और काशी की स्वच्छता पर कांग्रेस की राष्टÑीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश करेंगी। गंगा की सफाई उनके रोड शो का बेहद अहम मुद्दा होगा क्योंकि राजीव गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री गंगा की सफाई के लिए जो देशव्यापी अभियान शुरू किया था उसकी मौजूदगी अब भी दशाश्वमेध घाट के बगल में स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर है।
वाराणसी में करीब आठ लाख मतदाता हैं। इनमें डेढ़ लाख मुसलमान, एक लाख के करीब ब्राह्मण, इतने ही क्षत्रिय, चालीस हजार बंगाली, पांच हजार के करीब दक्षिण भारतीय और बीस हजार मराठी हैं। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि काशी के लोगों के बीच पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पुराने किले को वापस पाने की हरसंभव कोशिश करेंगी। त्रिपाठी के मुताबिक वाराणसी हमेशा से ब्राह्मणों का गढ़ रहा है। गरीब ब्राह्मणों को दस फीसद आरक्षण देने की बात कांग्रेस यदि अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करती है तो इस अकेले कदम से उसे उत्तर प्रदेश में खासा राजनीतिक लाभ हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तर प्रदेश के 14 फीसद ब्राह्मणों में सात फीसद भारी आर्थिक संत्रास से गुजर रहे हैं। इस सच को नकारा नहीं जा सकता।
अपने रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य का हिसाब-किताब लेकर सोनिया गांधी विधानसभा चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार करने की पुरजोर कोशिश करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष के वाराणसी में आयोजित होने जा रहे रोड शो पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर पाठक ने तंज कसते हुए कहा कि सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सत्ता में दोबारा वापसी का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। जिस तरह लखनऊ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ‘अच्छा लड़का’ करार दिया, उससे कांग्रेस की सपा के प्रति नरमी स्पष्ट हो जाती है। दरअसल सोनिया गांधी और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनाव बाद के गठबंधन की पृष्ठभूमि तैयार कर रही हैं।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में दस बरस तक उनके सहयोगी की भूमिका अदा कर चुके हैं। इसलिए कांग्रेस के पास क्षेत्रीय दलों की शक्ल में दोनों विकल्प मौजूद हैं जो दस बरस तक उसके पुराने और भरोसेमंद साथी भी साबित हुए हैं।
काशी के इतिहास के जानकार अरविंद सिंह कहते हैं कि बैठकबाजों के इस शहर की फिजा 80 के दशक तक कुछ और ही थी। गोदौलिया चौराहे पर तब स्थित भोजनालयों के चबूतरे, अस्सी घाट पर स्थित चाय की दुकानें, लहुराबीर और मैदागिन मोहल्ले के नुक्कड़ों पर होने वाले चुनावी बहस और मुबाहसे कभी शहर की फिजा बदलने की कूव्वत रखते थे। लेकिन अब वो बीती बात हो चुकी है। आज काशी को कांग्रेसियों ने पोस्टरों से पाट दिया है। लेकिन ये पोस्टर काशी की जनता का भरोसा कितना जीत पाएंगे? यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब इतनी आसानी से मिलता नजर नहीं आ रहा है।
