हिमाचल प्रदेश के सोलन में गेस्ट हाऊस ध्वस्त होने से 14 लोगों की मौत के बाद प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। इस घटना ने नियमों का उल्लंघन कर इमारतें खड़ी करने वालों पर कार्रवाई नहीं करने के चलते प्रशासन पर सवाल उठा दिए हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक हादसे की शुरुआती जांच में सामने आया है कि 2009 में बनी यह बिल्डिंग अवैध थी। अनुमति से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग बनाने के चलते मालिक को हिरासत में ले लिया गया है। यह बिल्डिंग नियमों की अवहेलना कर फिसलन भरी जमीन पर बनाई गई थी।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। घटना की मजिस्ट्रेट जांच के लिए आदेश दिया जा चुका है।’ इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए मौके पर गई टीम ने भी घटनास्थल से महज कुछ मीटर दूर बने करीब एक दर्जन अवैध ढांचों के आगे आंखें मूंद लीं। जांच में पता चला है कि इलाके में सैकड़ों अवैध इमारतें बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट कसौली में करीब 13 होटलों को गिराने के आदेश दे चुका है, क्योंकि ये नियमों के मुताबिक नहीं बने थे।
मनाली के 38 होटलों को एनजीटी की तरफ से नोटिस दिया जा चुका है। इसी तरह धर्मशाला और शिमला में भी नियमों का उल्लंघन करके निर्माण के कई मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन राज्य प्रशासन ने उन्हीं के खिलाफ एक्शन लिया जिन्हें सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने लिस्ट में रखा था। रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में करीब 12,694 बिल्डिंग्स अवैध तरीके से बनी हैं। इनसे कई हजार लोगों की जान को खतरा है। बताया जाता है कि कार्रवाई की राह में राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार हैं।
राज्य सरकार इन अवैध निर्माण कार्यों को ‘टाउन एंड कंट्री प्लानिंग रेगुलराइजेशन अमेंडमेंट एक्ट 2017’ के तहत नियमित भी करना चाहती थी। 2016 में राज्य विधानसभा ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी भी दी थी और उसे राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन मामला प्रदेश की हाईकोर्ट में पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश पर भू-माफियाओं ने अतिक्रमण कर लिया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नियम-कानून आम आदमी के लिए बने होते हैं। बहुमंजिला इमारतें बनाने वालों के खिलाफ प्रशासन आंखें मूंद लेता है।