उत्तर प्रदेश में 4 नवंबर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने वाला है। इसके लिए तैयारियां चल रही है। इसी बीच विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बुधवार को राज्य प्रशासन पर जमीनी स्तर पर पक्षपातपूर्ण और जाति-आधारित पोस्टिंग का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करने की मांग की।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिनवा ने लखनऊ में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और जिलों से स्थानीय पार्टी इकाइयों के साथ परामर्श शुरू करने और इस अभ्यास के लिए बूथ स्तर पर एजेंट नियुक्त करने को कहा। उन्होंने पार्टी प्रतिनिधियों से कहा कि जिला और विधानसभा स्तर पर पहला काम एसआईआर प्रक्रिया समझाना और उनके प्रश्नों का समाधान करना है। रिनवा ने कहा, “पहला काम जिला और विधानसभा स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर उन्हें प्रक्रिया समझाना और इसके तहत उनकी सभी शंकाओं का समाधान करना है।”

प्रत्येक दल नियुक्त करें बूथ लेवल एजेंट

प्रत्येक मान्यता प्राप्त दल से हर जिले के लिए एक पदाधिकारी नियुक्त करने का आग्रह करते हुए रिनवा ने कहा, “दूसरा महत्वपूर्ण कार्य जो राजनीतिक दलों को करना है, वह यह है कि सभी दल प्रत्येक बूथ पर इस कार्य के लिए बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त करें। राज्य स्तर से, प्रत्येक जिले को इन कार्यों के लिए एक पदाधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए, जिसके अधीन बूथ-स्तरीय एजेंट होंगे।”

सीईओ ने कहा कि स्थानीय बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) क्षेत्र के निवासी होने के नाते मिले हुए समय के भीतर घर-घर जाकर सत्यापन पूरा कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक दलों से सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

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लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया कि बीएलओ, एडीएम (चुनाव) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) की नियुक्ति “जाति और धर्म के आधार पर” की गई है। पार्टी ने उन्हें हटाने की मांग की। सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा, “162,486 मतदान केंद्रों पर 15.4 करोड़ मतदाताओं के लिए एसआईआर (सर्टिफिकेट रजिस्टर) आयोजित करने से पहले, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां की जानी चाहिए। जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और धर्मों के लोगों को शामिल किया जाए।”

उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग “निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियां करें और इसमें बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और धर्मों के लोगों को शामिल करे ताकि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल न उठे।”

बड़े पैमाने पर तबादले चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन

कांग्रेस ने प्रशासनिक कदमों पर चिंता जताई और कहा कि इससे एसआईआर (विशेष प्रशासनिक सुधार) की नीति कमजोर हुई है। पार्टी नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि एसआईआर की घोषणा के तुरंत बाद जिला मजिस्ट्रेटों और अन्य अधिकारियों के बड़े पैमाने पर तबादले चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन हैं। उन्होंने कहा, “आखिरी समय में किए गए ये सभी तबादले रद्द किए जाने चाहिए।” उन्होंने आयोग से इस प्रक्रिया के शुरू होने से पहले क्षेत्रीय प्रशासन में स्थिरता बहाल करने का आग्रह किया।

हालांकि बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को लखनऊ में “मुस्लिम भाईचारा” बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बाद में पार्टी पदाधिकारियों को जमीनी स्तर पर सक्रिय रूप से भाग लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से न छूटे।

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चुनाव अधिकारियों ने जिलों के लिए संचालन संबंधी दिशानिर्देश जारी किए हैं। जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) को पार्टियों को एसआईआर प्रक्रियाओं की जानकारी देने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि “सभी पात्र व्यक्तियों को शामिल किया जाए और कोई भी अपात्र नाम न जोड़ा जाए।” बीएलओ घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे तथा प्रत्येक मतदाता को विवरण दर्ज करने के लिए प्रयुक्त प्रपत्र की हस्ताक्षरित प्रति उपलब्ध करानी होगी।

प्राधिकारियों ने मतदान केन्द्रों के निरीक्षण और रखरखाव का भी आदेश दिया है, ताकि किसी भी केन्द्र पर मतदाताओं की संख्या 1,200 से अधिक न हो। साथ ही, जिलों से बुजुर्ग, विकलांग और गरीब मतदाताओं की सहायता के लिए स्वयंसेवकों की नियुक्ति करने को कहा है।

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28 अक्टूबर – 3 नवंबर के बीच तैयारी, प्रशिक्षण और फॉर्म प्रिंटिंग किया जाएगा। फिर 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच घर-घर जाकर गणना फॉर्म वितरित किए जाएंगे। 9 दिसंबर को मतदाता सूची के मसौदे का प्रकाशन किया जाएगा। जिसके बाद 9 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच दावे और आपत्ति की दर्ज की जा सकेगी। 9 दिसंबर-31 जनवरी के बीच नोटिस चरण यानी सुनवाई और सत्यापन का कार्य होगा और फिर 7 फरवरी को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा।