Allahabad High Court News: साल 2013 में उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार (Akhilesh Yadav) के दौरान हुए मुजफ्फर नगर दंगों (Muzaffar Nagar Riots) में दोषी पाए गए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी (Former BJP MLA ) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने दंगों के दोषी बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की दो साल की सजा पर रोक लगाने की अर्जी खारिज कर दी है। इसके पहले अक्टूबर महीने में मुजफ्फर नगर की एक अदालत ने बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सहित 12 लोगों को साल 2013 में हुए दंगों का दोषी बताते हुए दो साल के सश्रम कारावास और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी।
Vikram Saini सहित 12 लोगों को हुई थी सजा
उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोगों को 2013 के दंगों में सजा सुनाई है। सभी को दो साल के सश्रम कारावास के साथ 10 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा। अदालत में इन सभी के खिलाफ लंबे समय से केस चल रहा था। सुनवाई के बाद सभी को दोषी करार दिया गया। वहीं इस मामले में 15 अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। चूंकि सजा तीन साल से कम होने की वजह से बीजेपी नेता विक्रम सैनी को अदालत से जमानत भी मिल गई।
4 नवंबर को रद्द हुई थी विधानसभा सदस्यता (Assembly Membership)
इसके पहले 4 नवंबर को उत्तर प्रदेश के खतौली से BJP के विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी। सैनी ने निचली निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है। उत्तर प्रदेश में कुछ ही दिनों के अंतराल में विक्रम सैनी दूसरे ऐसे विधायक हैं जिनकी सदस्यता रद कर दी गई है। इसके पहले 28 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान की भी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई थी।
ये था पूरा मामला (Know Full Story)
जिले के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को ममेरे भाई गौरव और सचिन का मर्डर कर दिया गया था। इसके ठीक अगले दिन वहां पर दंगा भड़क गया। भारी बवाल, आगजनी और लूटपाट के दौरान पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। इससे वहां तनाव और बढ़ गया। मामले में जानसठ पुलिस स्टेशन के तत्कालीन इंचार्ज शैलेंद्र कुमार ने भाजपा नेता विक्रम सैनी समेत 27 लोगों पर गंभीर धाराओं में नामजद मुकदमा दर्ज किया था। यह दंगा इतना बड़ा था कि शांति व्यवस्था के लिए वहां सेना को बुलाया गया। कई दिनों तक हालात बेकाबू रहे।