मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अपने फैसलों और बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी, जिसमें उन्हें कथित तौर पर यह कहते सुना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार भाजपा के केंद्रीय नेताओं द्वारा गिराई गई थी। अब शिवराज ने एक ट्वीट किया है, जिसे इसी मामले से जुड़ा माना जा रहा है। शिवराज ने गुरुवार को लिखा, “पापियों का विनाश तो पुण्य का काम है। हमारा धर्म तो यही कहता है।”

गौरतलब है कि जनसत्ता अब तक इस बात की पुष्टि नहीं कर पाया है कि ऑडियो में जो आवाज है, वह शिवराज सिंह चौहान की ही है। हालांकि, कांग्रेस के शासन में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने कहा है कि अब तो इस बात की पुष्टि भी हो गयी और सच्चाई भी प्रदेश की जनता के सामने आ गयी कि मेरी सरकार को गिराने के लिये किस तरह की साज़िश व खेल रचा गया और उसमें कौन- कौन शामिल था। जो लोग कहते थे कि कांग्रेस की सरकार के पास बहुमत नहीं था , वो अपने असंतोष से गिरी, हमने नहीं गिराई, उनके झूठ की पोल भी अब सभी के सामने आ चुकी है। शिवराज ने 15 वर्ष झूठ के बल पर सरकार चलाई, जनता ने सबक भी सिखाया लेकिन अभी भी निरंतर झूठ परोस रहे हैं।

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क्या था शिवराज के ऑडियो में?
ऑडियो क्लिप में सीएम शिवराज को कथित तौर पर हिंदी में कहते हुए सुना गया कि केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया कि सरकार गिरनी चाहिए, नहीं तो ये सबकुछ बर्बाद कर देगी। मुझे बताओं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी भाई के बिना सरकार गिर सकती थी? कोई तरीका नहीं था। कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज इंदौर के सांवेर विधानसभा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं। बीते मंगलवार को उन्होंने क्षेत्र का दौरा किया था।

ऑडियो क्लिप में एक जगह शिवराज तुलसी सिलावट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम लेते हैं और कहते हैं कि क्या उनके बिना ये संभव था क्या? गौरतलब है कि तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार और कांग्रेस के पूर्व मंत्री हैं जो उनके साथ ही भाजपा में शामिल हुए थे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों के इस्तीफे के बाद गिर गई थी कांग्रेस सरकार
लंबे समय तक कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अचानक कांग्रेस छोड़ दी। उनके पिता माधवराव सिंधिया इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के खासे करीबी थे। ज्योतिरादित्य और उनके करीबी विधायकों के कांग्रेस छोड़ने के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई थी। कांग्रेस छोड़ने से पहले सिंधिया करीब 19 सालों तक पार्टी में रहे थे।