उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजग के एक महत्वपूर्ण घटक शिवसेना ने भी शुक्रवार मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि पर्वतीय राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले को कचरे की टोकरी में फेंक दिया गया, जिससे केंद्र सरकार का वस्त्रहरण हो गया है।
शिवसेना ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को बहाल करने के अदालत के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे राष्ट्रपति पद की प्रतिष्ठा भी घूसरित हुई है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा गया है कि न्यायपालिका ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले को कचरे की टोकरी में फेंक दिया है। इसने केंद्र के इस रुख पर भी आपत्ति जताई है कि राष्ट्रपति ने उसकी सिफारिश का समर्थन किया है।’
इसमें कहा गया है कि अदालत की टिप्पणी, राष्ट्रपति गलती कर सकते हैं, का अर्थ यह है कि मोदी सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाकर गलती की है। मुखपत्र में कहा गया है, ‘मोदी सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रपति के कार्यालय का उपयोग करने का प्रयास किया लेकिन अदालत ने ऐसा करने से रोक दिया। इससे न सिर्फ केंद्र सरकार का वस्त्रहरण हुआ है बल्कि राष्ट्रपति पद की प्रतिष्ठा भी घूसरित हुई है।’ शिवसेना ने कहा कि लोकतांत्रिक नजरिए से इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए।