Maharashtra Politics: शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे राज्य में कई जगहों पर दौरे करके पार्टी में नया जोश भरने की कोशिश शुरू कर दी है। इस दौरान उनकी राज्यव्यापी दौरों में आने वाली भीड़ को देखकर महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के वॉररूम की चिंता बढ़ा दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पार्टी सूत्रों ने रविवार को बताया कि आदित्य पिछले महीने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद पार्टी में नई जान फूंकने के लिए महाराष्ट्र में सियासी दौरे कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने सूबे की सियासत को एक नए गठबंधन के साथ आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी के साथ मिलकर काम किया है। सूत्रों ने बताया कि आदित्य ठाकरे की रैलियों में आने वाली भीड़ और उनका गर्मजोशी से स्वागत करने की खबरों ने बीजेपी के चुनावी रणनीतिकारों को मुंबई और ठाणे सहित राज्य भर में होने वाले निकाय चुनावों से पहले अलर्ट किया है। आने वाले अक्टूबर के महीने में संभावित रूप से निर्धारित नगरपालिका चुनाव होने हैं जिनमें मुख्य तौर से मुकाबला ठाकरे गुट की शिवसेना के साथ शिंदे गुट की शिवसेना और बीजेपी गठबंधन के साथ होगा।

आदित्य की रैली में कार्यकर्ताओं का दिखा उत्साह

अभी हाल के समय में आदित्य ठाकरे ने जलगांव के पचोरा गांव में एक जनसभा जंबोरी क्षेत्र में संबोधित किया था। ये मौजूदा शासन के वरिष्ठ मंत्री गुलाबराव पाटिल का सियासी क्षेत्र है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शिवसेना के एक कार्यकर्ता ने बताया कि पचोरा की रैली में शिवसैनिक पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे से मिलने के लिए बेचैन दिखाई दिए। इस दौरान वहां भगदड़ भी मच गई। इस घटना को लेकर बीजेपी के रणनीतिकारों के माथे पर पसीना दिखाई दे रहा है।

उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की ये है रणनीति

शिवसेना को लेकर पिता-पुत्र लगातार पूरे राज्य में विद्रोहियों की बातों का धुन बजाते रहेंगे। उनका आरोप है कि सत्ता के लिए विद्रोहियों की बेलगाम लालसा राज्य में उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार है। अब बीजेपी के सामने इस बात की चुनौती है कि वो जनता की इस धारणा कौ कैसे दूर करे कि उसने महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए शिवसेना के गद्दारों की मदद की।

पिता-पुत्र के इस नैरेटिव से प्रभावित हो सकते हैं वोटर

शिवसेना इस बात का इशारा करते हुए कि मौजूदा समय ‘गद्दार नेरेटिव’ शिवसेना के मतदाताओं को प्रभावित करने का सबसे बड़ा हथियार मातोश्री के पास है। विशेष रूप से एमएमआर क्षेत्र में जहां शिंदे की नगर निगम चुनावों में गहरी जड़ें जमाने की योजना है। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने बताया,”हमें ठाकरे पिता-पुत्र की ‘पीठ में खंजर भोंकने’ की बयानबाजी का मुकाबला करने के लिए चुनावी रणनीति को सही तरीके से डिफेंड नहीं कर पा रहे हैं। हमें इस पर सही तरीके से जनता को बताने की जरूरत है। वोटर चुनाव के समय अक्सर ‘सहानुभूति’ वाली बातों में बहक जाते हैं। इसलिए मातोश्री ने जनता की ‘सहानभूति’ पाने वाला दांव खेला है।”

MVA के पतने के बाद जमीनी सियासत पर उतरे पिता-पुत्र

एमवीए सरकार के पतन के बाद से उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने सेना मशीनरी को सुधारे में फ्लैक्सिबिलिटी दिखाई है। शिवसेना के कई लोग सोचते हैं कि अपनों के किए गए विद्रोह ने मातोश्री को उसके मूढ़ता से झकझोर कर रख दिया है। एक ओर जहां उद्धव ठाकरे जमीनी स्तर के शिवसैनिकों का विश्वास जीतने के लिए शहर भर की शाखाओं का दौरा कर रहे हैं, तो वहीं आदित्य ठाकरे ‘शिव संवाद यात्रा’ धर्मयुद्ध के हिस्से के रूप में दूर की ग्रामीण सभाओं में जनता को संबोधित कर रहे हैं ताकि लोगों के मन से शिवसेना के प्रति इस धारणा को दूर किया जा सके कि वो सिर्फ मुंबई केंद्रित पार्टी है।