शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शनिवार (14 जुलाई) को पार्टी की एक बैठक के बाद संवादाताओं से बात करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर करारा प्रहार कर दिया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर नोटबंदी का फैसला इतनी तत्परता से लिया जा सकता है तो फिर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर फैसला अब तक क्यों नहीं किया गया। शिवसेना प्रमुख ने सवाल किया, “नोटबंदी का निर्णय आनन-फानन में ले लिया गया, लेकिन राम मंदिर पर अभी तक काम नहीं शुरू हो पाया। उन्होंने (बीजेपी ने) कहा था कि चुनाव से पूर्व मंदिर बन जाएगा, किस चुनाव से पहले, 2019 या 2050?” उद्धव ठाकरे ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि बीजेपी की अन्य प्रमुख नीतियों जैसे कि समान नागरिक संहिता या अनुच्छेद 370 को खत्म करने का भी यही हाल है। ठाकरे ने कहा, “इस समय इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं है, ये सारे मुद्दे भुला दिए गए हैं। आपके पास बहुमत है और इन सभी को लागू करना चाहिए था, क्या हुआ?”
बता दें कि अगले साल आम चुनाव को देखते हुए सभी दलों ने अभी से वोटरों को लुभाने की पुरजोर कोशिश शुरू कर दी है। बीजेपी इसके लिए ‘संपर्क फॉर समर्थन’ मुहिम चला रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी सक्रिय तौर पर पार्टी नेताओं आदि के साथ बैठक कर आगे की रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं। गुरुवार (12 जुलाई) को हैदराबाद की ऐसी ही एक बैठक से यह बात सामने आई कि अमित शाह ने पार्टी नेताओं से कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हो जाएगा। मीडिया में खबर आने पर पार्टी ने इस बात से किनारा कर लिया। पार्टी की तरफ से कहा गया कि अमित शाह ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। उधर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अमित शाह की बात की खबर लगते ही आपत्ति दर्ज करा दी। ओवैसी ने कहा कि क्या कोर्ट का फैसला अमित शाह के हाथ में है?
ओवैसी की भड़कने पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पलटवार किया। स्वामी ने मीडिया से कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने की अमित शाह ने भविष्यवाणी की होगी और वह भी लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि राम मंदिर बनेगा, इन भविष्यवाणियों के पीछे उपलब्ध सामग्री और हिंदुओं के पास इसके मूल अधिकार का होना है, जोकि मुस्लिमों के पास नहीं है। राम मंदिर पर फैसला सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल विचाराधीन है लेकिन इस दौरान यह मुद्दा बीजेपी के लिए जहां एक बार फिर से वोट खींचने के जरिये के तौर पर देखा जा रहा है तो वहीं यब विपक्षी दलों की सबसे बड़ी चिंता का सबब भी बन रहा है।