पुराने किले के ठीक सामने मथुरा रोड पर बना शेरशाह सूरी दरवाजा पुरातत्वविदों व इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए खास है। दिल्ली में प्रवेश के लिए बने इस दरवाजे का काफी हिस्सा ढह गया। करीब दस वर्ष पहले इस दरवाजे को बचाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने एक दीवार को खड़ा किया था लेकिन वह कोई स्थाई हल नहीं था, क्योंकि उसके बाद यहां पर्यटकों के आने-जाने पर रोक लगा दी गई। परिसर को चारों ओर से ग्रिल लगाकर गेट पर ताला मार दिया गया। जिसके बाद आज तक शेरशाह सूरी दरवाजा देखने से पर्यटक महरूम हैं। बता दें कि दिल्ली के 13 प्रवेश द्वारों में से शेरशाह सूरी दरवाजे को मुख्य माना जाता है जो कि ‘ग्रांड ट्रंक रोड’ पर स्थित है।
वर्ष 2012 में बारिश के कारण दरवाजे का कुछ हिस्सा ढह गया था
पुराना किले के नजदीक होने की वजह से ये प्रमुख व्यापारिक केंद्र में प्रवेश का प्रमुख द्वार रह चुका है। जिसे हुमायूं को युद्ध में टक्कर देकर सूरी साम्राज्य का विस्तार करने वाले शेरशाह सूरी ने बनवाया था। वर्ष 2012 में बारिश के कारण दरवाजे का कुछ हिस्सा ढह गया था और साल 2014-2015 में दरवाजे के आगे ईंटों की दीवार बनाकर इसे उस वक्त गिरने से बचा लिया था। लेकिन बीते दस सालों से इसका एएसआइ के मापदंडों के अनुसार संरक्षण कार्य नहीं हो पाया है।
शेरशाह सूरी दरवाजे के ऊपर कुछ छोटे आकार के गुबंद भी गिर गए थे
हालांकि साल 2022 में एएसआइ ने दरवाजे में पत्थरों के बीच चुनाई कर मसाला भरने व खालीपन या खोखलापन (प्वाइंटिंग) भरने का काम तो किया लेकिन यह कोई स्थाई संरक्षण कार्य नहीं था। वहीं, शेरशाह सूरी दरवाजे के ऊपर कुछ छोटे आकार के गुबंद भी गिर गए थे लेकिन इन्हें दोबारा बनाए जाने की कोई भी राय आज तक एएसआई नहीं बना पाया है। यही नहीं दरवाजे के ठीक पीछे बनी ईंट की दीवार जिसने दस साल पहले इस दरवाजे को गिरने से बचाया था, उसे अब हटाया जाए या नहीं इस पर भी एएसआई कोई फैसला नहीं ले पाई है।
एएसआइ दिल्ली सर्किल के वरिष्ठ पुरातत्वेत्ता प्रवीण सिंह ने कहा कि उन्हें परिसर के ग्रिल टूटे होने की जानकारी नहीं है। जहां तक संरक्षण की बात है तो एएसआइ की शेरशाह सूरी दरवाजे को लेकर अभी कोई कार्य योजना नहीं बनी है।