केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने शीना बोरा हत्या कांड में अब सूबे के पुलिस विभाग का खाता खोलना शुरू कर दिया है। इसी के कारण शनिवार को राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित को निर्देश दिया है कि वह 15 दिनों में रायगढ़ पुलिस की भूमिका पर नए सिरे से रिपोर्ट दाखिल करे।
शीना बोरा हत्याकांड में रायगढ़ पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदेहास्पद रही है। 23 मई, 2012 को रायगढ़ जिले के गोगादे गांव में जब अधजला अज्ञात शव (शीना बोरा का) मिला था, तब स्थानीय पेण पुलिस ने न तो प्राथमिकी दर्ज की थी और न ही दुर्घटना मृत्यु रिपोर्ट। इस लापरवाही पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शीना बोरा हत्याकांड की जांच में स्थानीय पुलिस के साथ ही रायगढ़ पुलिस अधीक्षक आरडी शिंदे की भूमिका जानने के निर्देश दिए थे।
रायगढ़ थाने के पुलिस अधीक्षक सुवेज हक ने जांच करने के बाद रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल को दे दी थी। दयाल ने अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले एक पन्ने की यह जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय को दी थी। गृह मंत्रालय संजीय दयाल की सौंपी इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। लिहाजा शनिवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी ने स्पष्ट किया कि वे इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई करने के लिए इसके साथ जरूरी अन्य दस्तावेज भी चाहिए। हमने पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित को जरूरी दस्तावेज के साथ रिपोर्ट देने के लिए कहा है। उम्मीद है कि पखवाड़े भर में यह रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
शीना बोरा हत्याकांड में पीटर मुखर्जी (प्रमुख आरोपी इंद्राणी मुखर्जी के पति) की गिरफ्तारी के बाद मुंबई पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस को शीना हत्याकांड की जांच से हटाकर 29 सितंबर, 2015 को मामला सीबीआइ को सौंप दिया था। अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर जांच सीबीआइ को नहीं दी जाती तो पीटर मुखर्जी कानून के लंबे हाथों से बच निकलता। दो टूक कहा जाए तो पुलिस की भूमिका पर सीबीआइ अधिकारियों को संदेह हो रहा है। सीबीआइ अधिकारियों की नजर में कम से कम दो बड़े पुलिस अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। सीबीआइ रायगढ़ के तत्कालीन पुलिस अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।
बख्शी का कहना है कि राज्य सरकार सीबीआइ को हर संभव मदद कर रही है। यही कारण है कि इस जांच एजंसी ने समय से पहले चार्जशीट अदालत में पेश कर दी। सरकार ने जांच एजंसी को मामला सौंपने के दो दिनों के अंदर बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवा दी थी। लगभग आधा दर्जन सीबीआइ अधिकारी इन दिनों मुंबई में शीना बोरा हत्या कांड की जांच में सक्रिय हैं।
शीना बोरा की हत्या 24 अप्रैल 2012 को उसकी मां इंद्राणी मुखर्जी ने अपने पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर श्यामवर राव के साथ मिलकर कर दी थी। हत्या कर शव गोगादे के जंगलों में पेट्रोल डालकर जला दिया था। यही शव पेण पुलिस ने बरामद किया था। प्रयोगशालाओं में जांच के बाद पुष्टि हुई की शव के अवशेष शीना बोरा के ही हैं।
खार पुलिस ने अगस्त में इंद्राणी, खन्ना और राय को और गुरुवार को पीटर मुखर्जी को शीना की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इंद्राणी खन्ना और राय 3 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में हैं जबकि पीटर मुखर्जी 23 नवंबर तक सीबीआइ की हिरासत में। सीबीआइ अधिकारी अब पीटर से पूछताछ कर यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर शीना बोरा की हत्या के षड्यंत्र में वह किन कारणों से शामिल हुआ था।