राजस्थान में सियासी गहमागहमी के बीच कांग्रेस सरकार अब दो धड़ों में बंटती दिख रही है। इनमें एक वो विधायक हैं, जिन्होंने गहलोत गुट का हाथ थामने का फैसला किया है। जबकि दूसरा गुट सचिन पायलट का समर्थक है। अभी तक कांग्रेस में किसी भी तरफ से पार्टी छोड़ने का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन अगर सचिन पायलट और उनकी टीम कांग्रेस छोड़ भाजपा में चली जाती है, तो कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बचा पाना काफी मुश्किल होगा। इसका गणित भी काफी मुश्किल साबित होगा।

अगर सचिन पायलट समेत 18 बागी विधायक हाईकोर्ट में केस जीत जाते हैं, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए समस्या पैदा हो सकती है। वहीं अगर उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है, तो बहुमत का आंकड़ा काफी नीचे आ जाएगा। क्योंकि फिलहाल राजस्थान की 200 विधायकों वाली विधानसभा में सीएम गहलोत ने 102 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। यह राज्य में बहुमत के आंकड़े से सिर्फ एक ज्यादा है। पिछले हफ्ते ही भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों ने सीएम गहलोत का समर्थन कर कांग्रेस की काफी मदद भी की है।

माना जा रहा है कि अगर सचिन पायलट समेत 19 विधायक सरकार से अलग भी हो जाते हैं, तो करीब 87 एमएलए कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। ये सभी 87 विधायक फिलहाल राजस्थान के फेयरमोंट रिजॉर्ट में रखे गए हैं। टीम पायलट के पास अभी 19 विधायक हैं, वहीं भाजपा के पास 72 विधायक हैं। भाजपा के पूर्व विधायक हनुमान बेनीवाल की पार्टी और तीन निर्दलीय विधायकों को जोड़ भी दिया जाए, तो बागी गुट में कुल 97 एमएलए शामिल होंगे।

हालांकि, अगर कोर्ट के फैसले के बाद बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया जाता है, तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 181 आ जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 92 पहुंच जाएगा। दूसरी तरफ भाजपा की कुल ताकत 78 विधायकों तक ही पहुंच पाएगी। यानी विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने में ही राजस्थान की गहलोत सरकार ज्यादा फायदा नजर आता है।