हिंदू धर्म संगठनों के धर्म संसद और इस तरह की बैठकों को लेकर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ऐसे आयोजनों की जरूरत और उससे जुड़े सामाजिक सुरक्षा उपायों पर राज्यों से पूछताछ की है। उत्तराखंड के रुड़की में प्रस्तावित धर्म संसद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से सवाल किया और इस संबंध में किए जा रहे निवारक और सुधारात्मक उपायों पर राज्य के मुख्य सचिव से हलफनामा देने को कहा।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसी स्थितियों में क्या करने की जरूरत है, इस पर पहले से ही अदालती फैसले हैं और राज्य को केवल इसे लागू करने की जरूरत है। बेंच, जिसमें जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल हैं, ने कहा, “आपको केवल पहले से ही तय दिशानिर्देशों का पालन करना है। आप इसका पालन कर रहे हैं या नहीं, आपको हमें सिर्फ यही जवाब देना है।”
इसने कहा, “और इसके बावजूद, अगर ऐसा हो रहा है, तो आपको सुधारात्मक उपाय करने होंगे।” राज्य ने कहा कि उसने निवारक उपाय किए हैं और अतीत में इसी तरह की घटनाएं होने पर जांच की थी। जस्टिस खानविलकर ने वकील से कहा, “नहीं, जांच ही नहीं। आपको इस गतिविधि को रोकना भी होगा।” पीठ ने टिप्पणी की कि अगर कुछ होता है तो वह मुख्य सचिव को कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए कहेगी।
अदालत ने हिमाचल प्रदेश में आयोजित धर्म संसद के खिलाफ एक याचिका भी ली और राज्य के वकील से एक हलफनामे में यह बताने को कहा कि इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि राज्य ने ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए पुलिस अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया है। राज्य की ओर से बताया गया जवाब मिलने के बाद, इसने कार्रवाई भी की थी।
तब जस्टिस खानविलकर ने कहा, “ये घटनाएं अचानक रातों रात नहीं होती हैं। इनकी घोषणा काफी पहले कर दी जाती है। स्थानीय पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई अप्रिय घटना न हो। क्या वे कदम उठाए गए हैं, आप उसे समझाएं।”