OP Rajbhar: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर के इस्तीफे के बाद फिर दर्जनभर पार्टी के नेताओं ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। पार्टी के मऊ जिलाध्यक्ष राजेश चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि ओपी राजभर अब धन उगाही कर रहे हैं। इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। चौहान ने कहा कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की कोई कदर नहीं है।

वहीं पार्टी से बागी हुए मोतीलाल यादव ने अपने इस्तीफे के साथ कहा, “राजभर ने जब 2003 में अपनी पाटी का गठन किया था, तो कहते थे कि मैं कभी सांसद-विधायक, मंत्री, सीएम नहीं बनूंगा। लेकिन आज वो अपने पूरे परिवार को राजनीति में सांसद-विधायक बनाना चाहते हैं। उनका एक ही लक्ष्य धन उगाही है।”

सुभासपा के पूर्व उपाध्यक्ष मोतीलाल यादव ने कहा, “सांसद, विधायक या कोई भी चुनाव हो, राजभर पैसे लेकर टिकट बांटने का काम करते हैं। ऐसे धन उगाही से अपनी राजनीति चमकाना चाह रहे हैं। उनकी नीतियों से त्रस्त होकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के लिए मेहनत की लेकिन ओपी राजभर ने उनके साथ छल किया। ऐसे में हम सभी पार्टी से इस्तीफा दिया है।”

सुभासपा के बागी नेता रामजीत राजभर ने ओपी राजभर पर आरोप लगाया, “हमारे साथ सामूहिक तौर पर सैंकड़ों सुभासपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया है।” उन्होंने कहा, “महेंद्र राजभर सुभासपा के वफादार सिपाही थे। ओपी राजभर के आदेश को उन्होंने परिवार से ऊपर रखा। लेकिन ओपी राजभर ने उनके साथ धोखा किया है।” रामजीत ने एक कार्यकर्ता के सिर पर लगे टांके को दिखाकर राजभर पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाया।

रामजीत ने कार्यकर्ता दीपक कुमार के सिर को दिखाते हुए कहा, “इनके सिर में 27 टाकें लगे हैं, ये सुभासपा के वफादार सिपाही थे। इन्होंने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि पार्टी संगठन कार्यकर्ताओं के साथ मुश्किल परिस्थितियों में खड़ी नहीं रही।” अपनी आप बीती बताते हुए दीपक कुमार ने कहा, “पार्टी के साथ अगर हम दिन रात लगकर काम करते हैं तो हमारी भी कुछ उम्मीदें होती हैं कि संगठन बुरे समय में हमारा साथ देगी लेकिन इसी साल जून में हमले की वजह से मैं अस्पताल भर्ती था, मैंने ओपी राजभर को फोन किया लेकिन मुझे कोई मदद नहीं मिली।”

दीपक कुमार ने कहा कि मुझे चोट लगी लेकिन राजभर जी की तरफ से मुझे कोई सहायता नहीं मिली। इससे आहत होकर हम सभी सुभासपा से इस्तीफा दे दिए हैं।