कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र को 17 नवंबर तक घर में ही नजरबंद रखने का निर्देश दिया है। उस दिन हाईकोर्ट की नियमित पीठ शारदा चिटफंड घोटाला मामले की सुनवाई करेगी। सीबीआइ ने मदन मित्र की जमानत खारिज करने के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी। उसी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया। न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और मंीर दारो सेको की खंडपीठ ने सीबीआइ की याचिका पर सुनवाई के दौरान मित्र को 17 नवंबर तक घर में ही नजरबंद रखने का निर्देश दिया।
अदालत ने टिप्पणी की कि मित्र एक कैबिनेट मंत्री हैं और अगर उनको आजाद रहने की अनुमति दी गई तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल से छूटने के बाद मदन को उनके दक्षिण कोलकाता स्थित घर में नजरबंद रखा जाए। अदालत ने कहा कि अस्पताल से रिहा होने के बाद मदन को सीधे उनके घर ले जाया जाए।
शारदा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने मदन को बीते साल 13 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। महानगर की एक अदालत ने 31 अक्तूबर को उनको जमानत पर रिहा कर दिया था। हाईकोर्ट ने गुरुवार को सवाल उठाया कि जब उसने (हाईकोर्ट ने) इस साल अगस्त में मित्र की जमानत की याचिका खारिज कर दी थी तो निचली अदालत ने उनको जमानत पर रिहा कैसे कर दिया? अदालत ने कहा कि इस याचिका पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जानी चाहिए।
सीबीआइ के वकील के राघव चारुलू ने कहा कि आपराधिक दंड संहिता की धारा 439 के तहत जमानत की याचिका पर सुनवाई से पहले अदालत को सरकारी वकील को इसकी सूचना देनी चाहिए थी। लेकिन मदन की जमानत के मामले में सीबीआइ को अदालत ने ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया था। इसलिए मदन को मिली जमानत गैर-कानूनी है।
अपनी गिरफ्तारी के बाद इस साल फरवरी से ही बीमारी के बहाने मदन लगातार राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम के वीआईपी वार्ड में रह रहे थे। लेकिन जमानत मिलने के 24 घंटे के भीतर ही वे आश्चर्यजनक रूप से स्वस्थ हो गए और अगले दिन यानी रविवार को डाक्टरों ने उनको घर जाने की अनुमति दे दी। लेकिन उसके बाद सीबीआइ ने जब उनकी जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया तो मदन अचानक दोबारा बीमार हो गए और महानगर के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती हो गए।
हाईकोर्ट ने कहा है कि अस्पताल में भर्ती होने या सीबीआइ की ओर से पूछताछ के लिए बुलाने की स्थिति में ही मित्र अपने घर से बाहर निकल सकते हैं। सीबीआइ ने भी अपनी याचिका में दावा किया है कि राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री होने की वजह से मदन बेहद ताकतवर व प्रभावशाली व्यक्ति हैं। जमानत पर बाहर रहने की स्थिति में वे जांच प्रभावित कर सकते हैं और गवाहों को धमका सकते हैं।
खंडपीठ ने मित्र के वकील को सीबीआइ की याचिका पर 13 नवंबर तक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया। मित्र के हलफनामे के जवाब में सीबीआइ 17 नवंबर को जवाबी हलफनामा दायर करेगी। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की नियमित पीठ में 17 नवंबर को ही होगी।