बिहार चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री नीतीश की सत्ता दांव पर है। इस चुनाव में उनके लिए सबसे बड़ा खतरा और कोई नहीं राजद प्रमुख और महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव हैं। 2015 में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में लड़ने के बाद इस बार अकेले ही नीतीश के लिए चुनौती पेश कर रहे तेजस्वी अलग ही रंग में नजर आ रहे हैं। जानकारों का मानना है कि तेजस्वी के इस बदले और आक्रामक रूप के पीछे हाथ है उनके राजनीतिक सलाहकार संजय यादव का, जो कि लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी को समाजवाद का ककहरा सिखाने वाले व्यक्ति रहे हैं।

मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले संजय यादव खुद एक राजनीतिक परिवार से आते हैं। संजय और तेजस्वी एक-दूसरे को क्रिकेट खेलने के दिनों से जानते हैं। वे इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी काम कर चुके हैं। लेकिन तेजस्वी यादव के साथ उनका काम अलग तरह का ही रहा है। लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से तेजस्वी को समाजवादी राजनीति के बारे में बेहतर ढंग से समझाया है।

राजद की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा के साथ संजय यादव तेजस्वी के मुख्य सलाहकारों में से एक रहे हैं। राजद नेताओं का कहना है कि यह संजय ही थे, जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी का ध्यान संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान पर दिलाया था। बताया जाता है कि संजय ने इस बयान को लालू को दिखाया था और सुनिश्चित किया कि भागवत का यह बयान भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके।

गौरतलब है कि राजद ने 2015 के चुनाव में भागवत के बयान के जरिए भाजपा को पिछड़ी जातियों की विरोधी तक करार दे दिया था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि संजय कि इस चाल का भाजपा के पास कोई जवाब नहीं था और इससे चुनाव का रुख महागठबंधन की ओर झुक गया था। वह भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की गारंटी माना जा रहा था।