Tamil Nadu Car Blast: 23 अक्टूबर 2022 को सुबह 4 बजे कोयंबटूर के संगमेश्वर मंदिर के सामने हुआ एलपीजी सिलेंडर विस्फोट एक आत्मघाती बम हमला था या  गलती से किसी अन्य उद्देश्य के तहत हुआ विस्फोट था। हो सकता है कि यह किसी योजना के तहत आरोपी मुबीन के घर से दूसरे सुरक्षित घर में ले जाने के दौरान विस्फोट हुआ हो। मामले की जांच जारी है लेकिन इस मुद्दे ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के लिए पार्टी के भीतर एक नई  समस्या को जन्म दे दिया है। वह इस मामले में काफी सक्रिय दिखाई दे रहे थे। 

अन्नामलाई के चर्चा में बने रहने की वजह

अन्नामलाई कई कारणों से राज्य में भाजपा प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद से चर्चा में बने रहे हैं। इसके प्रमुख कारणों में उनकी 37 वर्ष की कम उम्र, कर्नाटक में एक सक्रिय आईपीएस अधिकारी के रूप में उनका अतीत और पार्टी के कुछ सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेताओं का उनको समर्थन हासिल होना शामिल है। राज्य के राजनीतिक मामलों में उनकी खास रुचि ने भी उन्हे चर्चा में बने रहने में काफी सहयोग किया है। 

मुद्दे पर क्या है संघ की राय

कोयंबटूर के एक वरिष्ठ आरएसएस नेता कहते हैं, “इस छवि के कुछ अनचाहे परिणाम भी सामने आ सकते हैं” वह आगे कोयंबटूर के भाजपा नेताओं द्वारा एक बंद के आह्वान का जिक्र करते हुए जिसे बाद में वापस ले लिया गया था कहते हैं कि अन्नामलाई ने कोयंबटूर विस्फोट के बाद इस मामले में काफी रुचि दिखाई थी लेकिन जब चीजें उनके हाथ से बाहर हो गईं तो उन्हें पीछे हटना पड़ा है। शनिवार को राज्य पुलिस बल ने एक बयान जारी किया था जिसमें अन्नामलाई का नाम लिया गया और उनसे “अफवाह ना फैलाने” के लिए कहा गया। 

आरएसएस के नेता आगे बात करते हुए कहते हैं कि पार्टी के प्रदेश के एक नेता के तौर पर अन्नामलाई अपने ट्वीट में जल्दबाजी में उन बातों  का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। उन्हें यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए था कि क्या जांच सही दिशा में जा रही है या नहीं ? जबकि चेन्नई में आरएसएस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह अन्नामलाई की गलती नहीं थी बल्कि राज्य प्रमुख के रूप में इस मुद्दे को लेकर उनकी गलतफहमी थी।

ट्वीट कर द्रमुक सरकार को घेरते हुए की थी बंद की घोषणा

विस्फोट के एक दिन के भीतर अन्नामलाई ने स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि यह एक आतंकवादी हमला था और तमिलनाडु सरकार ने विस्फोट का विवरण 12 घंटे तक छुपाया था। इसके बाद उन्होंने जांच में कथित कमियों के लिए राज्य पुलिस और द्रमुक सरकार की आलोचना भी की थी । यह बात उन्होने एक ट्वीट में लिखी थी। ऐसे कई ट्वीट्स और बयानों के बाद  कोयंबटूर में भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने द्रमुक सरकार पर जांच को सुस्त तरीके से निपटाने का आरोप लगाते हुए 31 अक्टूबर को बंद की घोषणा की थी जिसके बाद कोयंबटूर के एक व्यवसायी ने मद्रास उच्च न्यायालय में बंद को खारिज करने के लिए  एक याचिका दायर कर दी थी। 

बंद वापस लेना पड़ा

याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में अन्नामलाई को अपने ही नेताओं द्वारा बुलाए गए बंद को वापस लेना पड़ा। उन्होने कहा कि उन्होने बंद की घोषणा ही नहीं की थी। उनके इस बयान के चंद घंटों बाद पार्टी के चार विधायकों में से एक कोयंबटूर (दक्षिण) के वनथी श्रीनिवासन ने घोषणा की कि कोई भी बंद को रोक नहीं सकता हालांकि उद्योगपतियों के अनुरोधों का हवाला देते हुए भाजपा नेतृत्व को बाद में बंद को “अस्थायी रूप से स्थगित” करने का फैसला करना पड़ा। पार्टी के कई लोगों का मानना है कि यह अन्नामलाई और कोयंबटूर के दो शीर्ष नेताओं, सी.पी. राधाकृष्णन और  विधायक श्रीनिवासन के बीच का शीत युद्ध था।

पुलिस ने अन्नामलाई की प्रतिक्रिया को अपरिपक्व बताया

कार ब्लास्ट मामले को संभाल रहे  राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि शुरू में अन्नामलाई ने दावा किया कि सरकार जानकारी छुपा रही थी लेकिन डीजीपी खुद विस्फोट के कुछ घंटों बाद कोयंबटूर पहुंचे क्योंकि हमें एहसास था कि यह कितना गंभीर मामला था। उन्होने कहा, 48 घंटे में मामले को सुलझा लिया गया था। चंद घंटों के भीतर मामले से जुड़े  नौ महत्वपूर्ण लोग हमारी हिरासत में थे। अपने इस मामले में काफी तेजी दिखाई है। मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अन्नामलाई ने ट्वीट के जरिए गलत जानकारी दी जो कि एक राजनेता के लिए सबसे अशोभनीय है साथ ही उन्होने अन्नामलाई की प्र्तिक्रिया को अपरिपक्व भी बताया।

कोयंबटूर शहर के पुलिस आयुक्त वी. बालकृष्णन ने भी द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह जांच को एनआईए को सौपने से पहले 90 प्रतिशत जांच को पूरा कर चुके थे। हाल ही में अन्नामलाई ने भी अपना रुख नरम किया है। उन्होंने सोमवार को विस्फोट पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए राज्य पुलिस की प्रशंसा भी की लेकिन राज्य पुलिस की आलोचना को जारी रखा।