Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में मिलने वाली 9 दवाएं लैब टेस्टिंग में मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इसको लेकर सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने शिकायत की है। इन मेडिसिन का इस्तेमाल ऑपरेशन और आईसीयू जैसी गंभीर परिस्थितियों में किया जाता है। चिकित्सक महासंघ ने भी इस मामले को लेकर चिंता जाहिर की है। इतना ही नहीं उन्होंने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें उम्रकैद की सजा की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में आईसीयू और ऑपरेशन के दौरान दवाइयों के इस्तेमाल का मुद्दा डॉक्टरों ने ही उठाया है। डॉक्टरों के शिकायत करने के बाद ही इनकी जांच कराई गई। इसमें 9 दवाइंया मानकों पर खरी नहीं उतरीं। मामले को गंभीरता से लेते हुए चिकित्सक महासंघ ने सीएम को पत्र लिखा है और दोषियों के खिलाफ उम्रकैद की मांग की है। इतना ही उन्होंने मामले की जांच हाईलेवल कमेटी से कराने की मांग भी की है।
इन दवाओं पर लगा बैन
सरकारी हॉस्पिटल में मिलने वाला ओआरएस पाउडर भी खराब निकला। कैल्शियम विद विटामिन D3 की टैबलेट भी मानकों पर खरी नहीं उतर पाई। बैच नंम्बर LMT240628, नंबर. LMT240629 की कैल्शियम विद विटामिन डी-3 टैबलेट अमानक मिली। Batch No. Z-40947 की ORS WHO Powder Glucose भी अमानक घोषित किया गया है। इन दवाओं के लॉट के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया है। मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने सभी जिलों के डीन, सीएमएचओ, और अस्पताल अधीक्षकों को पत्र जारी किया था।
एंटीबायोटिक देने को लेकर डाक्टरों से लेकर दवा दुकानदारों तक के लिए सख्त नियम बनाने की जरूरत
कांग्रेस पार्टी ने सरकार को घेरा
मध्य प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में लैब टेस्ट में दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद में अब मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस विधायक डॉ विक्रांत भूरिया ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि कितने लोगों की जान इन दवाइयों की वजह से गई है। अब तक जितने भी लोगों की जान गई है उनको मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन लोगों पर क्या कार्रवाई हुई जिन्होंने दवाई को सप्लाई किया। उन्होंने कहा कि सरकार पैसों के लिए अंधी हो चुकी है। लोगों की जान की कीमत नहीं बची है। उन्होंने कहा कि मैं एक डॉक्टर भी हूं और मुझे पता है कि लाइफ सेविंग दवाएं 10-15 सेकंड में अपना असर ना दिखाएं तो जान चली जाती है।