नई दिल्ली। इलाहबाद विश्वविद्यालय में होने वाले शपथग्रहण कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोक दिया गया। उन्हें विमान में सवार होने से पहले ही रोक दिया गया जिसके बाद समाजवादी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी के एक कार्यकर्ता ने एक पुलिस अधिकारी को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

थप्पड़ के बाद जमकर बरसी लाठियां –
जैसे ही यह खबर फैली कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को योगी आदित्यनाथ सरकार ने कानून-व्यवस्था की समस्याओं का हवाला देते हुए लखनऊ से प्रयागराज के लिए उड़ान भरने से रोक दिया, कार्यकर्ता लाल रंग की पार्टी की टोपी पहनकर सड़कों पर उतर गए और मोदी विरोधी व योगी विरोधी नारे लगाने लगे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने पुतला जलाया और युपी पुलिस से भीड़ गए। वायरल हुए वीडियो में साफ़ देखा जा रहा है कि पुलिस की गाड़ी के पीछे सपा कार्यकर्ता बैठे हुए हैं। इस दौरान एक पुलिसकर्मी एक कार्यकर्ता को खींचता है तभी सपा कार्यकर्ता पुलिसकर्मी पर लातों से प्रहार करते हैं। ऐसे में एक पुलिस अधिकारी उन्हें डंडे से दूर करने की कोशिश करता है। इसी दौरान पास में खड़ा सपा का एक कार्यकर्ता उस अधिकारी को थप्पड़ जड़ देता है। जिसके बाद गुस्साई पुलिस कार्यकर्ताओं पर जमकर लाठियां बरसाना शुरू कर देती है। बता दें इन प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव, फूलपुर के सांसद नागेंद्र पटेल और गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद कर रहे थे।

इस घटना को लेकर अखिलेश का पक्ष –
विमान में नहीं सवार होने देने के बाद अखिलेश यादव ने लखनऊ में पार्टी कार्यालय में मीडिया को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जानबूझकर ऐसा किया है क्योंकि उसे डर है कि वह राज्य और केंद्र सरकार को बेनकाब कर देंगे। उन्होंने कहा, “मैंने पिछले साल दिसंबर में अपने कार्यक्रम के बारे में विश्वविद्यालय को सूचित किया था। दो फरवरी को जिला प्रशासन को एक पत्र भेजा गया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि चल रहे कुंभ के दौरान कोई असुविधा हो। लेकिन, मुझे उस समस्या के बारे में सूचित नहीं किया गया था जिसका सरकार अब हवाला दे रही है।” इसके जवाब में, आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा का अराजकता का इतिहास है और यह निर्णय हिंसा के खतरे के आकलन के आधार पर जिला प्रशासन द्वारा लिया गया।