लम्बे समय से अंदर ही अंदर पक रही प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के अदंरूनी कलह मंगलवार (13 सितंबर) को खुलकर सामने आ गयी। पहले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाकर अपने भाई शिवपाल यादव को पार्टी का मुखिया बना दिया। बाद में सीएम अखिलेश ने शिवपाल से तीन अहम मंत्रालय छीनकर उन्हें लगभग नाम का मंत्री रहने दिया। बुधवार (14 सिंतबर) सुबह शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि मंत्रिमंडल में रखना या न रखना सीएम का विशेषाधिकार है। पार्टी छोड़ने की अटकलों से जुड़े एक सवाल के जवाब में शिवपाल ने कहा कि वो नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से मिलकर ही इस्तीफे पर फैसला करेंगे। भाई और बेटे के बीच जारी सियासी जंग के बीच मुलायम एक बार भी शांतिदूत बनकर सामने आते दिख रहे हैं। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार सपा सुप्रीमो आज ही अपने दिल्ली आवास पर अखिलेश और शिवपाल के बीच बैठक करने वाले हैं। वहीं सीएम अखिलेश ने बुधवार को अपने सभी राजनीतिक कार्यक्रम और आधिकारिक मुलाकातें रद्द कर दी हैं। शिवपाल की प्रेस वार्ता के बाद सीएम अखिलेश ने भी पत्रकारों से बात की और कहा कि सपा में सब कुछ ठीक है और परिवार में सभी नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की बात मानते हैं।

मंगलवार को सीएम अखिलेश ने पहले शिवपाल के करीबी बताए जाने वाले दो मंत्रियों को बर्खास्त किया। उसके बाद उन्होंने मुख्य सचिव दीपक सिंघल को पद से हटा दिया। सिंघल को भी शिवपाल यादव का नजदीकी बताया जाता है। सीएम अखिलेश के इन फैसलों के बाद मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश में पार्टी की कमान बेटे अखिलेश से लेकर छोटे भाई शिवपाल सिंह को सौंप दी। शाम को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल से तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय ले लिए। अब शिवपाल के पास केवल सामाजिक कल्याण मंत्रालय का ही प्रभार है। अखिलेश सरकार में अब तक PWD, सिंचाई, राजस्व विभाग और समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी शिवपाल सिंह यादव के पास थे। तीन अहम मंत्रालय छीने जाने के बाद खबर आई कि शिवपाल यादव मंत्रिमडल से इस्तीफा भी दे सकते हैं।

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अखिलेश और शिवपाल के बीच तकरार की ताजा वजह पूर्वी उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय बतायी जा रही है। कुछ महीने पहले अंसारी की पार्टी की सपा में विलय की घोषणा लगभग तय मानी जा रही थी कि अखिलेश यादव ने इसे रुकवा दिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद शिवपाल ने कहा कि कौमी एकता दल का सपा में विलय होना तय है। बुधवार को जब पत्रकारों ने शिवपाल से पूछा कि  2017 में होने वाला विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता नेताजी और समाजवादी पार्टी के साथ है।

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