समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा दांव चला है। अखिलेश यादव ने सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक माता प्रसाद पांडे को यूपी विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया है। सांसद बनने से पहले इस पद को खुद अखिलेश यादव ने अपने पास रखा था, लेकिन अब उन्होंने नए नाम का ऐलान कर दिया है। चर्चा थी कि अखिलेश अपने चाचा शिवपाल यादव को ये पद सौंप सकते हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता का नाम चुना।
माता प्रसाद पांडे सपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। पूर्वांचल की राजनीति में माता प्रसाद का बड़ा रसूख है। वह सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा से विधायक हैं। इससे पहले 2012 में जब अखिलेश पहली बार यूपी के सीएम बने थे, तब उन्होंने माता प्रसाद पांडे को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया था। यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 12 फीसदी से अधिक है।
अगड़ी जातियों को साधने की कोशिश
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी सफलता मिली है। माना जा रहा है कि पिछड़े और दलितों ने बड़ी संख्या में सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया। हालांकि अगड़ी जातियों का वोट बीजेपी को बड़ी संख्या में मिला। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव से ठीक 2 साल पहले अखिलेश यादव ने नेता प्रतिपक्ष की कमान ब्राह्मण चेहरे को सौंपी है और अगड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है।
Mata Prasad Pandey: कौन हैं माता प्रसाद पांडे? जिनको अखिलेश ने बनाया नेता प्रतिपक्ष
शिवपाल को क्यों नहीं बनाया नेता प्रतिपक्ष?
इस पद के लिए शिवपाल सिंह यादव और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक इंद्रजीत सरोज का नाम भी चल रहा था। हालांकि अखिलेश ने दोनों बड़े नेताओं को दरनिकार करते हुए माता प्रसाद पांडे को चुना है। शिवपाल सिंह यादव उत्तर प्रदेश की जसवंतनगर विधानसभा से विधायक हैं और यूपी की राजनीति में बड़ा नाम है। अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव को नेता प्रतिपक्ष का पद न सौंप कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी केवल परिवार को ही नहीं तरजीह देती है।
कमाल अख्तर बने सपा के मुख्य सचेतक
इसके साथ ही अखिलेश यादव ने कमाल अख्तर को यूपी विधानसभा का मुख्य सचेतक बनाया है। कमाल अख्तर को सपा के बागी विधायक मनोज पांडे की जगह मिली है। इससे पहले यह पद मनोज पांडे के पास था, जिन्होंने फरवरी में पार्टी से बगावत कर ली थी और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।