शादी-विवाह के मौसम के बीच एक बार फिर नए नोटों की कालाबाजारी जोर पकड़ती नजर आ रही है। शहर में बैंकों से छोटे मूल्य के नए नोटों की गड्डियां गायब हैं, जबकि वही गड्डियां नोटों की माला, पूजा सामग्री व फूल बेचने वालों की दुकानों पर खुलेआम बिकती दिख रही हैं।
जानकारी के अनुसार, सेक्टर-5 में दुकानदार आन-डिमांड नए नोटों की सप्लाई कर रहे हैं। इसके लिए ग्राहकों को पहले से आर्डर देना होता है और कुछ राशि अग्रिम जमा करानी पड़ती है। दुकानदारों ने गड्डियों का दाम पहले से ही तय कर रखा है।
दावा है कि जितनी गड्डियां मांगेंगे, उपलब्ध करा दी जाएंगी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक रुपए के सौ नोटों की गड्डी 1500 रुपए में बेची जा रही है, जबकि इसकी वास्तविक कीमत सिर्फ 100 रुपए है। पिछले साल यही गड्डी 1400 रुपए में मिल रही थी, इस बार दाम 100 रुपए और बढ़ गया है। दो रुपए के नोटों की गड्डी भी लगभग 800 रुपए तक पहुंच गई है।
रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नियमों के अनुसार, कोई भी नोट केवल उसके अंकित मूल्य पर ही वैध होता है, बावजूद इसके साल दर साल यह काला खेल जारी है और रोकथाम के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। सवाल यह भी उठता है कि जब बैंकों में नए नोट पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं हैं, तो ये गड्डियां दुकानों तक कैसे पहुंच रही हैं।
इस संबंध में डीसीपी नोएडा यमुना प्रसाद ने जनसत्ता से कहा कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और अभी तक ऐसी कोई शिकायत भी प्राप्त नहीं हुई है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
नए नोट महंगे दामों पर बेचना अपराध
वहीं लीड बैंक प्रबंधक राजेश सिंह कटारिया ने बताया कि दिवाली के आसपास छोटे नोट सभी बैंकों में उपलब्ध कराए गए थे। उनके अनुसार यदि कोई दुकानदार नए नोट महंगे दामों पर बेच रहा है तो यह अपराध है और इसकी शिकायत पुलिस से की जानी चाहिए।
