राजनीतिक पार्टियों में अब भले ही सार्वजनिक मंच मिले न मिले लेकिन डिजिटल मंच को लेकर भी हाय तौबा मचने लगी है। अब दिल्ली भाजपा को ही लीजिए। यहां नई टीम आने के बाद से ही पार्टी में बवाल शुरू हो गया है। ये बवाल पार्टी में गुटबाजी पैदा कर रहा है। हाल ही में पार्टी के दो वरिष्ठ प्रवक्ताओं को पार्टी के सोशल मीडिया ग्रुप से बाहर निकाले जाने के मामला सामने आया था। सोशल मीडिया ग्रुप से निकालने को इतनी बड़ी बेइज्जती मानी कि अंदरखाने हलचल मच गई। इस गु्रप को पार्टी के कुछ नए नेताओं ने तैयार किया था। लेकिन जब ये बवाल डिजिटल मंच से निकलकर सार्वजनिक मंच पर शुरू हो गया तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद इसे थामने की कोशिश हुई। हालांकि पार्टी ने भी नाराज प्रवक्ताओं को मंच पर लाकर सबकुछ ठीक होने के संकेत दिए। प्रवक्ता ने पार्टी के रवैये से नाराज होकर अपने को सभी सोशल मीडिया एकाउंट से हटा दिया था।
अदला-बदली
दिल्ली के नगर निगम चुनाव आ रहे हैं। इससे पहले राजनीतिक दलों में नेताओं की भागमभाग तेज हो गई है। वे इधर से उधर पाला बदल रहे हैं। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी और निगम की सत्ता पर पकड़ बनाए भाजपा के बीच यह खींचतान ज्यादा दिख रही है। भाजपा में नई टीम बनने के बाद से असंतुष्टों का खेमा बढ़ गया है, वे मौके की ताक में हैं। वहीं पार्टी ने चौकसी बढ़ा दी है। दरअसल, वरिष्ठ नेताओं को डर है कि ज्यादा लोग इधर से उधर हुए तो गलत संदेश जा सकता है। वैसे ही 15 साल गद्दी संभालने के चलते चिंता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।
हाय प्रचार!
बाजार में माल बेचना है तो प्रचार जरूरी है। लेकिन ये भी क्या प्रचार है कि कोई सड़क पर गति अवरोधक बनवा दे और उसकी चर्चा शुरू हो जाए। ये तो भई वैसा ही हुआ जैसे किसी होटल ने अपने मेन्यू कार्ड में व्यंजनों के साथ मुफ्त में मिलने वाले नमक, प्याज, मिर्च और अचार का भी जिक्र किया हो। हालांकि दिल्ली के नेताओं को यह बात समझ आ रही है। इसलिए हर छोटी चीज को प्रचार से जोड़कर जनता के सामने परोसा जा रहा है। दिल्ली में सड़कों के गड्ढे खत्म हो और उसके पोस्टर बैनर लगे इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन अब आम आदमी पार्टी के नेता इलाकों में स्पीड ब्रेकर उद्घाटन के भी फोटो लगा रहे हैं। यह मामला सागरपुर सब्जी मंडी इलाके से सामने आया है, जहां स्पीड ब्रेकर लगाने के लिए भी स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बधाई दी है। इन पर मुख्यमंत्री का हंसता हुआ चेहरा भी लगाया है।
मन के मालिक
नोएडा की यातायात पुलिस मन की मालिक है। वही करेगी जो उसका मन करेगा। नियम कानून से कुछ लेना-देना नहीं और आम लोगों के लिए तो जैसे हमेशा गुस्सा अपनी जेब में रखे रहते हैं और चालान काटकर जता भी देते हैं। अब औद्योगिक महानगर के सबसे पुराने सेक्टरों में से एक सेक्टर- 12 के बाजार का हाल देखिए। यहां बाजार के सामने वाली जगह, जिसे पहले पार्किंग के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, वहां पर खाने-पीने के स्टॉल लगा दिए गए हैं। ऐसे में खरीदारों को सड़क के किनारे अपने वाहन खड़े करने पड़ रहे हैं।
सड़क काफी चौड़ी होने के बावजूद सड़क के किनारे पर कार खड़ी कर खरीदारी करने जाने वालों के नो पार्किंग में वाहन खड़ा करने के आॅनलाइन चालान यातायात पुलिसकर्मी काट रहे हैं। यहां तक कि कार में चालक के बैठे होने के बावजूद वहां खड़ी कार के नंबर की फोटो खींचकर यातायात पुलिसकर्मी अपने लक्ष्य को पूरा करने जुगत में लगे हैं। जबकि इसी सड़क के दूसरे तरफ दर्जनों की संख्या में बसें रोजाना सड़क किनारे खड़ी की जा रही हैं, जिनका कभी कोई चालान नहीं होता है। दीगर है कि यह स्थिति कमोबेश पूरे शहर की है।
सेल्फी एक मर्ज
सेल्फी के चक्कर में लोग कहां-कहां पहुंच रहे हैं। इसका जुनून इतना भारी है कि लोग तुरंत सेल्फी लेकर इसे सर से हल्का कर देना चाहते हैं। राजधानी में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिसकर्मियों के साथ भी ऐसा ही हुआ, उन्हें होश ही नहीं रहा कि जिसके साथ सेल्फी ले रहे हैं वो आजकल एक हत्या के मामले में चर्चित हैं। जब फोटो वायरल हुआ तो पूरे पुलिस विभाग को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उसने जांच शुरू कर दी। हालांकि इस मर्च की दवा अभी फिलहाल मिली नहीं है।
-बेदिल