आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर से भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के डीएनए पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से बर्मा और तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक के लोगों का डीएनए एक है। मोहन भागवत इससे पहले सभी मुस्लिमों को हिंदू बता चुके हैँ। आरएसएस प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आया है जब कर्नाटक में हिंदुत्व को लेकर भाजपा और कांग्रेस में जंग छिड़ी हुई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सोमवार (15 जनवरी) को भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। रायपुर में उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान से बर्मा तक और तिब्बत से श्रीलंका तक जितने जनसमूह रहते हैँ उतने जनसमूह का डीएनए ये बता रहा है कि उनके पूर्वज समान हैं। ये हमको जोड़ने वाली बात है। हम समान पूर्वजों के वंशज हैं।’
मोहन भागवत ने इससे पहले पिछले साल त्रिपुरा में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश के सभी मुस्लिमों को हिंदू बताया था। उन्होंने कहा था, ‘भारत के मुस्लिम भी हिंदू ही हैं। हमारी किसी से शत्रुता नहीं है। हम सबका कल्याण चाहते हैं।’ उनके इस बयान से धार्मिक नेताओं में हलचल मच गई थी। कुछ हिंदू धर्मगुरुओं ने उनके बयान का समर्थन किया था तो कुछ ने उनके बयान पर कड़ा एतराज जताया था। इसके बाद संघ विचारक एमजी वैद्य ने भी इस मसले पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हिंदू होने के लिए किसी को अपना धर्म छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा था कि मुसलमान हिंदुत्व को अपना ही मजहब समझें।
Afghanistan se Burma tak aur Tibet se Sri Lanka tak, jitne jansamuh rehte hain, utne jansamuh ka DNA yeh bata raha hai ki unke purvaj samaan hain. Yeh humko jodne waali baat hai. Hum samaan purvajon ke vansaj hain: RSS chief Mohan Bhagwat in Raipur #Chhattisgarh pic.twitter.com/MdRkCzhyk8
— ANI (@ANI) January 15, 2018
मालूम हो कि कर्नाटक में विधानसभा चुनावों को देखते हुए आजकल हिंदुत्व का मुद्दा गरमाया हुआ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्नाटक यात्रा के बाद इस मुद्दे पर जारी बहस और तीखी हो गई है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया खुद को ‘100 फीसद हिंदू’ होने जैसा बयान देना पड़ गया। इसे देखते हुए राहुल गांधी पार्टी नेताओं के लिए फरमान जारी कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने नेताओं के लिए भाजपा के लिए ‘हिंदू चरमपंथी’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में भी इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक और छत्तीसगढ़ के अलावा इस साल के अंत तक छह और राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। विपक्षी दल भाजपा पर पहले से ही धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करने की राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं।