मुंबई के पवई इलाके में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या के बारे में उसके पड़ोसियों और स्थानीय लोगों ने कहा है कि वह इस खबर को सुनकर हैरान हैं। पुलिस ने बंधकों को रोहित के कब्जे से छुड़ाया था। पुलिस की कार्रवाई में रोहित घायल हो गया था। बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।
6 महीने में बंद कर दिया कैफे
रोहित आर्या ने पुणे में एक कैफे खोला था। यह कैफे गिरिजा शंकर विहार, कर्वे नगर में किराए के एक कमरे में था, वहां के कुछ दुकानदारों ने बताया कि रोहित ने पिछले साल दिसंबर के आसपास इस कैफे को शुरू किया था और जून-जुलाई तक इसे बंद कर दिया था। अब उस जगह पर एक गैराज चल रहा है।
कौन था मुंबई में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या, वह क्या चाहता था?
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि रोहित के कैफे में सैंडविच, बर्गर और कुछ दूसरी चीजें मिलती थी। ग्राहक कम होने की वजह से उन्होंने 6 महीने में ही इसे बंद कर दिया था। एक शख्स ने बताया कि रोहित आर्या इस कैफे के पास ही रहते थे और एक-दो साल पहले ही यहां शिफ्ट हुए थे। उन्होंने बताया, “वह एक सामान्य इंसान थे। वह वैसे ही बात करते थे जैसे आप और मैं करते हैं। मेरा उनसे ज़्यादा मिलना-जुलना नहीं था।”
एक और स्थानीय शख्स ने बताया, “वह शांत और संयमित व्यक्ति थे। वह हमसे भी वैसे ही बात करते थे जैसे बाकी सब करते थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। जो बातें सामने आई हैं, उस पर शक होता है। हैरानी की बात है कि हमें मंत्री के घर के बाहर उसके द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों के बारे में कभी पता ही नहीं चला। उनका बेटा कॉलेज में पढ़ता था और बहुत अच्छा था।”
इसी तरह, कोथरूड के शिवतीर्थ नगर इलाके की उस सोसायटी के लोग भी इस बारे में सुनकर हैरान रह गए, जहां रोहित के बुजुर्ग माता-पिता रहते हैं।
सामने आया था रोहित का वीडियो
रोहित आर्या ने बच्चों को बंधक बनाने से पहले एक वीडियो भी वायरल किया था और उसमें उसने अपनी कुछ मांगों के बारे में कहा था। रोहित आर्या का कहना था कि उसे महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग से जुड़ा स्कूल प्रोजेक्ट का एक टेंडर मिला था लेकिन इस प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद भी उन्हें इसका पैसा नहीं दिया गया। इसे लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग के तत्कालीन मंत्री दीपक केसरकर के घर के बाहर प्रदर्शन भी किया था।
