जम्मू-कश्मीर अब सिर्फ सुरम्य वादियों और सीमावर्ती सुरक्षा मुद्दों के लिए ही नहीं, बल्कि एक खतरनाक सामाजिक अपराध के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है। म्यांमार से लाई जा रही रोहिंग्या लड़कियों की तस्करी और जबरन शादियों का जाल यहां तेजी से फैलता जा रहा है।
म्यांमार की रोहिंग्या बस्तियों में गरीबी और असुरक्षा के माहौल में जी रहीं लड़कियों को भारत में अच्छी ज़िंदगी का सपना दिखाकर लाया जाता है। लेकिन ये सपना जल्द ही एक डरावनी हकीकत में बदल जाता है। भारत पहुंचते ही इन लड़कियों को उम्र में दो गुने या मानसिक और शारीरिक रूप से अक्षम पुरुषों से जबरन शादी करने को मजबूर किया जाता है।
अमर उजाला अखबार के जम्मू एडीशन की खबर के मुताबिक जम्मू के बठिंडी, सुंजवां, त्रिकुटा नगर और नरवाल जैसे इलाके अब रोहिंग्या बस्तियों से भर चुके हैं। यहीं लड़कियों को कुछ दिन छिपाकर रखा जाता है और फिर सौदा पक्का होते ही उन्हें आगे कश्मीर या अन्य राज्यों में भेज दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, जम्मू और श्रीनगर में अब तक 140 से अधिक लड़कियों की जबरन शादी कराई जा चुकी है।
सौदे की कीमत: 20 हजार से 1 लाख तक
इन लड़कियों की कीमत 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक तय की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया एक संगठित गिरोह द्वारा चलाई जा रही है, जिसमें स्थानीय कश्मीरी लोग भी शामिल हैं। पुलिस के रिकॉर्ड में कई ऐसे मामले दर्ज हैं जो इस तस्करी के स्पष्ट सबूत देते हैं। इन लड़कियों की पहचान छिपाने के लिए फर्जी आधार कार्ड तैयार किए जाते हैं। 2023 में ही जम्मू में 61 और कश्मीर में 97 नकली आधार कार्ड बरामद किए गए थे। गिरोह के सदस्य इन लड़कियों को ‘अपनी बेटियां’ बताकर भारत में प्रवेश कराते हैं।
रोहिंग्या मजदूरों की आड़ में हो रही है तस्करी
कश्मीर में काम करने वाले रोहिंग्या मजदूर इस तस्करी में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। ये म्यांमार जाकर ‘परिवार से मिलने’ का बहाना करते हैं और लौटते समय नाबालिग लड़कियों को अपने साथ लाते हैं। 20 जनवरी 2024 को कोलकाता में रेलवे पुलिस ने अब्दुल रहमान नामक रोहिंग्या युवक को दो नाबालिग लड़कियों के साथ गिरफ्तार किया था, जो कश्मीर जा रहा था।
गिरोह म्यांमार में एनजीओ की आड़ में काम करते हैं और वहीं से लड़कियों को चुन लेते हैं। कोलकाता या गुवाहाटी बुलाकर उन्हें नौकरी का झांसा देकर भारत लाया जाता है और फिर जम्मू की बस्तियों में छिपाया जाता है।
पुलिस कार्रवाई के अहम मामले
22 सितंबर 2022: नगरोटा पुलिस ने म्यांमार के अब्दुल शकूर और मोहम्मद यासमीन को गिरफ्तार किया।
3 दिसंबर 2022: त्रिकुटा नगर पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया जिन्हें 20-50 हजार रुपये में खरीदा गया था।
8 नवंबर 2023: एनआईए ने बठिंडी से जफर आलम को गिरफ्तार किया, जो म्यांमार से लड़कियों की तस्करी में शामिल था।
28 नवंबर 2023: बांदीपुरा में मंजूर आलम को गिरफ्तार किया गया, जो लड़कियों को जम्मू में ठहराकर कश्मीर भेजता था।
28 मई 2024: बड़गाम से दो नाबालिग लड़कियां जबरन शादी के लिए लाई गई थीं, जिन्हें बरामद किया गया।
12 जुलाई 2024: बारामुला में शकील अहमद से चार लड़कियां मुक्त कराई गईं, एक को वह 20 हजार रुपये में बेच चुका था।
अधिकारियों का मानना है कि अधिकतर रोहिंग्या पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करते हैं। यदि वहीं इन्हें रोका जाए तो आगे का नेटवर्क कमजोर किया जा सकता है। जम्मू पुलिस के मुताबिक, बस्तियों में रहने वालों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और कई मामलों में कार्रवाई भी हुई है।
यह मामला सिर्फ अवैध घुसपैठ का नहीं, बल्कि एक संगठित मानव तस्करी का है, जो म्यांमार की पीड़ित लड़कियों को भारत में नए शोषण की ओर धकेल रहा है। इस पर सख्त कार्रवाई और व्यापक जांच की जरूरत है, ताकि जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों को तस्करी के ट्रांजिट प्वाइंट में बदलने से रोका जा सके।