राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाह ने आखिरकार केन्द्रीय मंत्रिमंडल और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का उपेन्द्र ने साथ छोड़ दिया है। इससे पहले ही उपेन्द्र ने कहा था कि वो एनडीए की बैठक में नहीं शामिल होंगे। ऐसे में इससे बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। वहीं रालोसपा प्रमुख पिछले कुछ दिनों से भाजपा और उसके सहयोगी दल के नेता, बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं।

पीएम मोदी पर किया वार
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उपेन्द्र ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार ने सूबे को स्पेशल पैकेज देने का वादा किया था जो छलावा निकला। बिहार के विकास के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। वहीं सीट शेयरिंग पर उपेन्द्र ने कहा कि कम सीट देकर हमें कमजोर करने की कोशिश की गई। अकेले लड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि एनडीए को छोड़कर बाकी सभी विकल्प खुले हैं। गौरतलब है कि रालोसपा को 2019 लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के इशारों के बाद से उपेन्द्र कुछ नाराज से दिख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा – जदयू के बीत बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है।

एनडीए से भिड़ेंगे उपेन्द्र ?
बता दें कि उपेन्द्र कुशवाह ने इससे पहले बिहार में एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ने के भी संकेत दिए थे। वहीं पिछले दिनों मोतिहारी में उन्होंने कहा था कि लोग हमारे भविष्य की रणनीति को लेकर आस लगाए बैठे हैं। उनको मैं साफ करना चाहता हूं कि सुलह समझौता करने के लिए सभी प्रयासों को अब तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए आने वाले दिनों में उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता की पंक्तियां बोली थीं कि ‘अब याचना नहीं रण होगा संघर्ष बड़ा भीषण होगा।’

मंदिर पर भी दिया था बयान
कुशवाह ने भाजपा पर मंदिर मुद्दे को लेकर भी वार किया था। उपेन्द्र ने कहा था कि ये मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है। उनके मुताबिक सरकार और राजनीतिक दलों का ये काम नहीं है कि कहां मंदिर या मस्जिद बने। अगर मंदिर बनाना है तो सही तरीके से बनाइए। ये देश संविधान से चलता है और संविधान धर्मनिरपेक्षता के सिंद्धांत से चलता है।