शिवसेना विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हो सकता है कि मैंने इस्तीफा देकर कानूनी रूप से गलत किया हो लेकिन मैंने दो फाड़ होने के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया। अगर इस सरकार में जरा भी नैतिकता है तो इसे इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने पीठ में छुरा घोंपा। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा, “मैं गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता।”

इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है। उन्होंने कहा, “अगर इस मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था।”

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों की सदस्यता का मामला बड़ी बेंच को भेज दिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए गवर्नर द्वारा उस समय के सीएम उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने विश्वास मत से पहले ही रिजाइन कर दिया। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्योंकि उद्धव ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल बीजेपी के कहने पर सरकार बनाने के लिए एकनाथ शिंदे को आमंत्रित करके सही किया।

16 बागी विधायक अयोग्य: संजय राउत

महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि सुनील प्रभु शिवसेना के चीफ व्हिप थे तो इस हिसाब से एकनाथ शिंदे सहित 16 बागी विधायक अयोग्य साबित होते हैं।