रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बॉम्बे हाईकोर्ट आज राहत नहीं मिली। उनकी जमानत अर्जी पर अब अगली सुनवाई शुक्रवार दोपहर तीन बजे होगी। बता दें कि गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपनी गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की है। इस मामले में उन्होंने महाराष्ट्र में अलीबाग पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने की अपील की है। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमएस कर्णिक की एक खंडपीठ ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई की।
अर्नब गोस्वामी की बढ़ीं मुश्किलें, कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत
गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपनी गिरफ्तारी को 'गैरकानूनी' बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की है।
Written by जनसत्ता ऑनलाइनEdited by अंकित ओझा
मुंबई
Updated: 
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First published on: 04-11-2020 at 11:58 IST
अर्नब गोस्वामी की जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया कि मई 2018 में पुलिस ने गोस्वामी और ‘रिपब्लिक टीवी’ के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए थे और सूंपर्ण जांच के बाद ही मामला बंद किया गया था। याचिका में कहा, 'याचिकाकर्ता ने उस समय मृतक की कम्पनी के साथ व्यापारिक लेनदेन के सभी दस्तावेज मुहैया कराए थे और मामले में पूरा सहयोग किया था।' उसने यह भी कहा कि गोस्वामी की कम्पनी ‘एआरजी आउटलियर प्राइवेट लिमिटेड’ ने अन्वय नाइक की कम्पनी ‘कॉनकॉर्ड डिजाइन्स’ को अनुबंध के तहत बकाया राशि का 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया था। याचिका में कहा, ‘जुलाई 2019 में, नाइक की कम्पनी के खाते में पूरी बकाया राशि जमा करा दी गई थी, लेकिन खाते के निष्क्रिय होने की वजह से वह राशि हमारे खाते में वापस आ गई।’ उसने कहा कि याचिकाकर्ता ने पूर्व में पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया और आगे भी करते रहेंगे।
रिपब्लिक के प्रतिद्वंद्वी चैनल इंडिया टुडे ने भी अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए कहा है कि हमें उम्मीद है कि महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस सही फैसला लेंगे। इंडिया टुडे के इस बयान की क्लिपिंग को पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी ट्वीट किया है। चैनल ने कहा कि पत्रकार कानून से ऊपर नहीं हैं, लेकिन सरकार भी बदले की कार्रवाई के लिए कानून का बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकती।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने एक बार फिर लोकतंत्र को शर्मसार किया है। गोस्वामी ने कहा है कि मुझे पुलिस ने पीटा है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज प्रेस की आजादी पर हमला हुआ है, आपातकाल की याद ताजा हुई। सोशल मीडिया भी अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर खेमों में बंट गया है। एक खेमा कह रहा है कि भले ही अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता आपत्तिजनक है, लेकिन इस तरह गिरफ्तारी निंदनीय है। दूसरा खेमा अर्नब को पत्रकार ही नहीं मान रहा। फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने ट्वीट किया- जो लोग दावा कर रहे या बता रहे कि अर्नब गोस्वामी पत्रकार हैं, वे गलत सूचना फैला रहे हैं।
न्यूज एंकर अर्नब गोस्वामी पर मुंबई पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने उन पर गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिसकर्मी से मारपीट के आरोप में केस दर्ज किया है। यही नहीं उनकी पत्नी, बेटे और दो अन्य लोगों के खिलाफ भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। इस बीत अर्नब गोस्वामी ने पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाया है। रिपब्लिक टीवी चैनल की ओर से दिखाए गए वीडियो में अर्णब कहते हैं कि उनके साथ प्रदीप पाटिल समेत 8 पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की है और मारपीट की है। उन्होंने कहा कि मुझे घर से उठाकर लाया गया है। यहां तक कि मेरे पैरों में जूते भी नहीं थे। अर्णब ने हाथ में जख्म भी दिखाया। इस बीच गोस्वामी को मुंबई पुलिस की ओर से गिरफ्तारी किए जाने के बाद मीडिया जगत में भी हलचल है।
बीजेपी अर्णब गोस्वामी का पक्ष ले रही है। इसपर शिवसेना प्रवक्ता और मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि लोकतंत्र मे सबको विरोध का अधिकार है लेकिन बीजेपी को अन्वय नाइक की विधवा से भी मिलना चहिए जिसे न्याय नहीं मिला है। लोकतंत्र में गलत के साथ भी खड़े रहने का अधिकार है। हम सच के साथ हैं। मुंबई की पुलिस कोई कठपुतली नहीं है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा और सत्य का पराभव नहीं होगा।
2018 के एक खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी की एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अर्णब के वकील ने जमानत के याचिका लगाई है। बुधवार को अर्णब को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय ने सूइसाइड नोट में आरोप लगाया था कि अर्णब के साथ अन्य दो लोगों ने उनके 5.40 करोड़ का भुगतान नहीं किया है। वहीं बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने महाराष्ट्र सदन के बाहर आपातकाल 2.0 वाले पोस्टर लगवा दिए हैं।
रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर भाजपा नेता शाजिया इल्मी ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अर्नब को गिरफ्तार कर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार ने बड़ी गलती की है। जनता इसका जवाब देगी।
बीजेपी अर्णब गोस्वामी का पक्ष ले रही है। इसपर शिवसेना प्रवक्ता और मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि लोकतंत्र मे सबको विरोध का अधिकार है लेकिन बीजेपी को अन्वय नाइक की विधवा से भी मिलना चहिए जिसे न्याय नहीं मिला है। लोकतंत्र में गलत के साथ भी खड़े रहने का अधिकार है। हम सच के साथ हैं। मुंबई की पुलिस कोई कठपुतली नहीं है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा और सत्य का पराभव नहीं होगा।
अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर बॉलिवुड डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा ने कहा, 'फाइनली शिवसेना टाइगर उद्धव ने हिम्मत दिखाई।' बॉलिवुड अर्णब के मामले में दो धड़ों में बंटा हुआ है। मुकेश खन्ना, शर्लिन चोपड़ा, नंदीश संधू ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया है। राम गोपाल वर्मा गिरफ्तारी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, 'मेरे लिए यह देखना रोमांचक है कि उद्धव ठाकरे ने अपने पिता की तरह हिम्मत दिखाई और भौंकती हुई बिल्ली को न्यायिक पिंजरे में कैद करने का साहस किया।'
अर्णब की गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी विधायक राम कदम ने गुरुवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुललाकात की है। उन्होंने पुलिस के खिलाफ एफआईआर की मांग कीहै। गोस्वामी और दो अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज है। कोर्ट में पेश होने में देरी की वजह से और स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उन्हें कोविड केयर सेंटर में रात बितानी पड़ी।
अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के बाहर आपातकाल 2.0 के पोस्टर लगवा दिए हैं। इसमें इंदिरा गांधी और उद्धव ठाकरे की तस्वीर है।
गिरफ्तारी के बाद देर शाम अर्णब गोस्वामी को एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने 18 नवंबर तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उनके वकील आबाद पोंडा और गौरव पारकर ने जमानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दी है। कल रात अर्णब गोस्वामी को थाने में ही रखा गया था। आज बॉम्बे हाई कोर्ट जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकता है।
2018 के एक खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में रिपब्लिक टीवी की एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अर्णब के वकील ने जमानत के याचिका लगाई है। बुधवार को अर्णब को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय ने सूइसाइड नोट में आरोप लगाया था कि अर्णब के साथ अन्य दो लोगों ने उनके 5.40 करोड़ का भुगतान नहीं किया है।
धनबाद से बीजेपी सांसद पीएन सिंह ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी वाले दिनों की याद ताजा हो गई है। ठाकरे सरकार कांग्रेस की गुलामी का सबूत दे रही है। वहीं यहां से विधायक राज सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता बहुत जरूरी है।
रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी पर मुंबई पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने उन पर गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिसकर्मी से मारपीट के आरोप में केस दर्ज किया है। यही नहीं उनकी पत्नी, बेटे और दो अन्य लोगों के खिलाफ भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई है।
अर्णब गोस्वामी ने पुलिसकर्मियों पर लगाया मारपीट का आरोप। अर्णब ने कहा कि प्रदीप पाटिल समेत 8 पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ धक्की-मुक्की की है। उन्होंने कहा कि मुझे घर से उठाकर लाया गया है। यहां तक कि मेरे पैरों में जूते भी नहीं थे। अर्णब ने हाथ में जख्म भी दिखाया।
अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी की प्रतिक्रिया पर कांग्रेस ने हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी की यह सेलेक्टिव अप्रोच है। प्रेस की आजादी पर यह सेलेक्टिव रवैया शर्मनाक है। इसके साथ ही पार्टी ने कहा है कि अर्णब के मामले में भी कानून अपना काम करेगा।
अर्णब गोस्वामी को अरेस्ट किए जाने को लेकर असम के मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने देश से विश्वासघात किया है। वह बालासाहेब ठाकरे के एक अयोग्य पुत्र हैं। उन्होंने अपने दिवंगत पिता की इज्जत को कम करने जैसा काम किया है।
यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोटने का यह असफल प्रयास है। महाराष्ट्र सरकार को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को कथित रूप से एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किये जाने के संदर्भ में शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद से कभी किसी के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की। राउत ने यह दावा भी किया कि राज्य सरकार या किसी राजनीतिक दल का गोस्वामी की गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है।
अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रजातंत्र में इससे खराब दिन कुछ नहीं हो सकता, वरिष्ठ पत्रकार से ऐसा अमानवीय व्यवहार करने की कड़ी से कड़ी भाषा में निंदा करना भी कम है। ये राजनीतिक उद्देश्य से किया गया है, हम इसकी निंदा करते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करना यह बताता है कि कांग्रेस और महाराष्ट्र सरकार की मानसिकता किस तरीके से प्रजातंत्र का गला घोटने के लिए उतारू है। मैं इसकी घोर निंदा करता हूं और यह पत्रकारिता प्रजातंत्र पर भारी आघात है जिसके बारे में भारत की जनता को आगे आना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी के साथ किया गया व्यवहार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने और विरोध के स्वर का दमन करने की अधिनायकवादी प्रवृत्ति का प्रतीक है। कांग्रेस को आपातकाल समेत अनेक उदाहरणों का ध्यान करना चाहिए कि प्रेस का दमन करने वाली सरकारों का हश्र बुरा हुआ।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि रिपब्लिक चैनल के अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी पर एक कुठाराघात है। इमर्जेन्सी के दिनों की याद दिलाता ये कुकृत्य कांग्रेस संस्कृति का परिचायक है।
पत्रकार अरनब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महाराष्ट्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कुचल दी गई। कांग्रेस के इशारे पर अर्नब गोस्वामी पर ये बर्बर कार्रवाई की गई। लोकतंत्र को कुचलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रौंदने का कांग्रेस और महाराष्ट्र सरकार का ये प्रयास कभी सफल नहीं होगा।
भाजपा नेता ने अरनब गोस्वामी के गिरफ्तारी की आलोचना की है। भाजपा नेता सरोज पांडे ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाने वाली पत्रकारिता जगत के लिए, आज का दिन इतिहास के काले पन्नों में लिखा जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने आज पत्रकार अरनब गोस्वामी के घर पर पुलिस को भेज कर हमला करवाया, ये बहुत ही निंदनीय कृत्य है।
प्रशांत भूषण ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री कह रहे हैं, अर्णब की गोस्वामी ने आपातकाल की याद दिला दी है। जब बीजेपी सरकार पत्रकारों को गिरफ्तार कर रही थी तब क्यों कुछ नहीं कहा गया? जेपी नड्डा ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने अब घुटने टेक दिए हैं तभी ऐसी हरकतों पर उतारू है।
अर्णब की गिरफ्तारी की तुलना गृह मंत्री अमित शाह ने इमरजेंसी से की है। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। इससे हमें इमरजेंसी की याद आती है। उन्होंने कहा, कांग्रेस और इसके सहयोगियों ने फिर से लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया है। अर्णब के खिलाफ ताकत का दुरुपयोग बोलने की आजादी और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कहा कि यह सोनिया और राहुल की कोशिश है, वे अपने खिलाफ बोलने वालों की आवाज दबाना चाहते हैं।
एडिटोरियल लीडर्स की सबसे बड़ी संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है। इसकी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, पुलिस की इस कार्रवाई से गिल्ड आश्चर्य में है। सूइसाइ़ड के मामले में अर्णब को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया है। यह चितंजनक है और हम इसकी निंदा करते हैं। गिल्ड ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की है कि अर्णब के साथ सही बर्ताव हो।
अर्णब के अलावा इस मामले में फिरोज शेख और नितेश सारदा की गिरफ्तारी हुई है।अलीबाग पुलिस जब अर्णब के घर गई तो काफी हंगामा हुआ। अलीबाग पुलिस ने मुंबई पुलिस की मदद मांगी। सूत्रों के मुताबिक पूरा अभियान गुप्त रखा गया। पुलिस ने बताया कि अर्णब ने घर का दरवाजा खोलने में एक घंटा लगा दिया।
रजत शर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि अर्णब गोस्वामी की अचानक गिरफ्तारी निंदनीय है। हालांकि मैं स्टूडियो में उनके तरीके से सहमत नहीं हूं। कोई एक पत्रकार को परेशान करने के लिए सत्ता की ताकत का इस्तेमाल करे, यह बर्दाश्त करने लायक नहीं है। उन्होंने प्रकाश जावडेकर को टैग करते हुए लिखा, क्या मीडिया के एक एडिटर के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए।