दिल्ली की सबसे बड़ी हरित स्मार्ट सिटी भारतीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) बना रहा है। देश का पहला सौ मंजिला यह शहर पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में बनेगा। इसे डिजाइन के लिए स्पेन की एक निर्माण कंपनी को भारतीय कंपनी के साथ जोड़ा गया है। 75 एकड़ में फैली यह सिटी पूरी तरह से भूकंप रोधी होगी। योजना है कि इसमें रहने वालों को यहां से बुनियादी चीजों के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़ेगा। अस्पताल, स्कूल से लेकर बच्चों के खेलकूद के मैदान व पार्क, बुजुर्गों व महिलाओं के टहलने के लिए सुरक्षित और पर्यावरणीय माहौल, शॉपिंग मॉल्स, सामुदायिक भवन, होटल, रेस्टोरेंट, रचनात्मकता दिखाने और देखने के लिए आर्ट गैलरी, साइक्लिंग, जॉगिंग ट्रैक के साथ आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा और सबसे बड़ी खासियत आइकॉनिक टावर वालों के लिए सबसे ऊपरी मंजिल (रूफटाप) पर घूमने वला रेस्तरां, कैफे, डिस्कोथैक के साथ हेलीपैड का निर्माण सबसे बड़ी खासियत होगी।
एनबीसीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉक्टर अरुण कुमार मित्तल ने बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण और एनबीसीसी इस परियोजना को बनाने के लिए उत्साहित है। ‘ईस्ट दिल्ली हब’ नामसे बनने वाली इस स्मार्ट सिटी को बनाने में शुरुआती आकलन करीब छह हजार करोड़ रुपए किया गया है। अगले साल शुरू होकर पांच साल में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
एनबीसीसी ही क्यों के सवाल पर मित्तल कहते हैं कि ऐसे निर्माण में हमारी विश्वसनीयता पहले से परखी गई है। दिल्ली में ही पुनर्विकास कर न्यू मोतीबाग में हमने एक छोटा शहर बनाकर अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखी है। यह मॉडल प्रोजेक्ट हरित होम कांप्लेक्स के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार के सरकारी आला अधिकारियों के लिए बने मोतीबाग का इलाका भी सौ एकड़ का था। यहां पांच सौ बड़े आकार के जबकि छोटे और मध्यम आकार के अलग से फ्लैट बनाए गए थे। पेड़-पौधे से भरे इस पूरे इलाके में अलग से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया ताकि सीवर समस्या से यहां से लोगों को दो-चार न होना पड़े। जबकि किदवई नगर, सरोजनी नगर, नेताजी नगर और नौरोजी नगर में पुनर्विकास कर ऐसे ही प्रोजेक्ट हमारे हाथ पहले से आए हुए हैं। कहीं निर्माण हो चुका है तो कहीं निर्माण की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है। एक अन्य मॉडल सिटी पूर्वी दिल्ली में ही संजय झील के पास बनना है। एम्स के सामने निर्माणाधीन किदवईनगर हरित सिटी करीब 86 एकड़ में फैला हुआ है और यहां 86 एकड़ में करीब पांच हजार फ्लैट बन रहे हैं।
कड़कड़डूमा का पूर्वी दिल्ली हब पूरी तरह से कचरा रहित होगा। सीवर और कचरे को इसी जगह उपयोग कर पीने लायक पानी बनाने में तब्दील किया जाएगा। मांग के मुताबिक बिजली व्यवस्था मजबूत होगी। 75 एकड़ का यह पूरा इलाका सौ मंजिल बिल्डिंग के लिए तो प्रसिद्ध होगा ही इसके अलावा जो अन्य सुविधाएं यहां दी जाएंगी उसकी प्रतीक्षा शुरू हो गई है। सौ मंजिल के अलावा कुछ फ्लैट कम उंचाई के भी होंगे। यहे रिहाइशी और व्यावसायिक दोनों तरह के हैं। इसे बनाकर बेच दिया जाएगा। कीमत अभी तय नहीं की गई है। बनने के बाद लागत के हिसाब से इसे बेचकर दिल्ली विकास प्राधिकरण को दे दिया जाएगा। दिल्ली विकास प्राधिकरण से इस बाबत करार (एमओयू) हो चुका है।
अत्याधुनिक तकनीकी से बनने वाले इस पायलट प्रोजेक्ट को एनबीसीसी चुनौती की तरह ले रहा है। दिल्ली की पहली स्मार्ट सिटी होने के कारण वे तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संंबंधित एजंसियों से भी संपर्क साधने के साथ औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। युवा व्यावसायिकों को अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने की योजना है। सभी सार्वजनिक परिवहन, एनएमटी एजंसियों को पीक और ड्रॉप की सुविधा मुहैया कराने, अपने सामर्थ्य के मुताबिक लोग यहां घर खरीद सकें और सारी सुविधाओं का लाभ ले सकें इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। व्यावसायिक और आवासीय होने के कारण बाहर से आने वाले और यहां रहने वाले लोगों के आने-जाने और उनकी अन्य सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा जाएगा। पैदल लोगों के लिए अलग से व्यवस्था होगी। भवनों में खुली जगह रखा जाएगा जिसमें लेजर शो हो सके। सारे हरित इलाके और पार्कों को बायोगैस और प्राकृतिक रूप से मिलने वाली चीजों से लैस किया जाएगा। अत्याधुनिक चिकित्सा, अंधेरे रहित और घूमने फिरने सहित अन्य सारी सुविधाओं से युक्त पांच सौ अपार्टमेंट बुजुर्गों के लिए बनेंगे।