Delhi News: सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सत्येंद्र जैन को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज किए गए बेनामी लेन-देन के सभी मामलों को अधिनियम के तहत सभी कार्यवाही बंद कर दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने अधिनियम के तहत उनके खिलाफ हुई कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार किया उसके बाद उस पर सुनवाई करते हुए उन पर से सभी कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अभी हाल में ही में सर्वोच्च न्यायालय ने ये बात स्पष्ट की थी कि बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के विभिन्न प्रावधानों और अधिनियम में 2016 के संशोधनों को असंवैधानिक बता दिया था। ऐसे में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी के तहत की जा रही कार्यवाही पूरी तरह से गलत और अवैध है। अदालत ने सत्येंद्र जैन सहित सभी के खिलाफ जारी कार्यवाही को रद्द कर दिया।
साल 2017 में जैन ने इसके खिलाफ दायर की थी याचिका
आपको बता दें कि साल 2017 में जैन ने यह कहते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी कि ये कथित लेनदेन साल 2011 से मार्च 2016 के बीच में किए गए हैं इसलिए उसके बाद लागू होने वाले कानून में संशोधन लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा उनके खिलाफ कार्यवाही पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है और इसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। साल 2017 में बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया गया था अदालत जैन के अलावा कई अन्य पीड़ितों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के विभिन्न प्रावधानों और अधिनियम 2016 को असंवैधानिक करार दिया
मालूम हो कि इस साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के विभिन्न प्रावधानों और अधिनियम में 2016 के संशोधनों को असंवैधानिक करार दे दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना था कि साल 2016 के संशोधन अधिनियम की धारा 5 के तहत जब्ती के प्रावधान, प्रकृति में दंडात्मक होने के कारण, केवल संभावित रूप से लागू किया जा सकता है, न कि पूर्वव्यापी रूप से।