यूपी के उन्नाव जिले में लम्बे समय से अतिक्रमण व खनन माफियाओं के चंगुल में कैद रही कल्याणी नदी की साफ-सफाई कराकर इसके पुनरुद्धार का काम शुरू करा दिया गया है। इससे गंगा व कल्याणी के बेसिन में बसने वाले गांवों में अब भूगर्भीय जलस्तर ऊपर आएगा और हर समय उपलब्ध रहेगा। साथ ही यहां के खेतों और मवेशियों को पूरे साल भरपूर पानी भी मिल सकेगा। शासन ने इतने बड़े काम की जिम्मेदारी यहां के मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल को सौंपी है। जिले के पश्चिमी सीमा से प्रवेश करने वाली इस नदी का योजनाबद्ध ढंग से यहां के विकासखंड गंजमुरादाबाद की ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम कुशराजपुर मजरा चोरहा, लोनारी व ततियापुर से शुरू हुआ ड्रोन सर्वे का काम अब सिकन्दरपुर सरोसी की ग्राम पंचायत मरौंदा तक पूरा हो चुका है। कल्याणी नदी के पुनरुद्धार से जिले की दशा व दिशा बदलती नजर आ रही है।

जिले में गंगा की छह सहायक नदियों में कल्याणी, सई, टेनई (भदनी), मौराही, खरही व लोन नदी में से सई और कल्याणी नदी का उदगम पड़ोसी जनपद हरदोई से जबकि अन्य चार सहायक नदियों में से टेनई (भदनी) का उदगम बिरसिंहपुर के निकट स्थित झील से, मौराही नदी हड़हा झील से निकलकर चंदरपुर के पास से हुआ है, जो गंगा में जाकर मिल जाती है। खरही नदी तहसील बीघापुर के गांव खरझारा से निकलकर अकबरपुर, रामपुर होते हुए सुमेरपुर के पास गंगा में विलीन हो जाती है। वहीं लोन नदी सदर तहसील के गांव पवई की बसहा झील से निकलकर रायबरेली में गंगा में समाहित हो जाती है।

इन सबसे अलग कल्याणी नदी हरदोई की तराई (झाबर) से निकलकर विकासखंड गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर के अतिरिक्त सुसुमऊ और परियर होती हुई (मरौंदा) बसधना के पास गंगा में अपने आप को समर्पित कर देती है। जिले से प्रवाहित होकर जाने वाली गंगा की छह सहायक नदियों के अलावा महानय, बरकोता, सूर्यकुंड, कोड़ा समुंदर, मेला रामकुंवर, बकनई, जलेसर, खजुरिया, सरवन तथा बसहा झील के साथ साथ चिरैया नाला और सिंघवाताल की वजह से यहां की हरियाली अब तक बरकरार रही है। 

देश को आजादी मिलने के साथ ही जिले की भाग्यरेखा रही नदियों का अस्तित्व धीरे धीरे खत्म होता चला गया। लोगों ने इनकी गोद तो छलनी की ही, इनके स्वरूप को भी छिन्न भिन्न कर दिया। इससे लोन नदी मौजूदा समय में औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित टेनरियों का विषाक्त कचरा गंगा में उड़ेलने भर का काम कर रही है। यही कारण है कि लखनऊ, कानपुर आवाजाही करने वाले लोगों को इसकी आमद होते ही आज भी अपनी नाक पर रुमाल लगाने को विवश होना पड़ता है।

जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने बताया कि सर्वेकार्य के बाद सम्बंधित विकासखण्डों की ग्राम पंचायतों के तकनीकी सहायकों के माध्यम से डीपीआर तैयार करने के साथ ही मनरेगा के तहत अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कल्याणी के पुनरुद्धार से जहां समूचे तटवर्तीय गांवों का कायाकल्प होगा, वहीं नदी के इर्द गिर्द बसे गांव ततियापुर, गोलुहापुर, कैथापुरवा, रबड़ी, नसीर नगर, लतीफपुर, अहिरन पुरवा, भिखारीपुर, मदारनगर, सकरौली, सुसुमऊ, रूपपुर, बसधना, मरौंदा को सीधे तौरपर लाभ मिलेगा