बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय से कार्यकर्ताओं की हत्या का मुद्दा उठाते हुए इशारों में ममता सरकार पर निशाना साधा था। अब खबर है कि पश्चिम बंगाल में फिर सियासी पारा चढ़ गया है। यहां कैबिनेट मंत्री शुवेन्दु अधिकारी ने बगावती तेवर दिखाए हैं। उनके अलावा ममता के चार मंत्री कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे।

शुवेन्दु अधिकारी वही नेता हैं, जिन्होंने नंदीग्राम में पार्टी लाइन से हटकर रैली में हिस्सा लिया था। अब बताया गया है कि उनके अलावा कई अन्य मंत्री भी ममता सरकार से नाराज हैं। जो मंत्री बैठक में नहीं पहुंचे, उन्हें बगावती के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरी तरफ भाजपा ने दावा किया है कि तृणमूल सरकार के 10 मंत्री उसके संपर्क में हैं। साथ ही दो दर्जन टीएमसी विधायक के भी अपने समर्थन में होने की बात कही। भाजपा का कहना है कि यह सभी नेता समय आने पर पार्टी छोड़ सकते हैं। कहा जा रहा है कि इन नेताओं को डर है कि अभी कदम उठाया गया तो ममता इन नेताओं को परेशान कर सकती हैं।

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया था। यहां उन्होंने 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था। शाह ने राज्य में चुनावी बिगुल फूंकते हुए आदिवासी क्षेत्रों का दौरा किया था। बिहार में चुनाव जीतने के बाद भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी कहा कि वे बंगाल में सरकार बनाने के लिए आश्वस्त हैं। विजयवर्गीय ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा राज्य में दो-तिहाई सीटें हासिल करेगी।

लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की बंगाल पर नजर: 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भाजपा की नजर बंगाल पर है। लेफ्ट पार्टियों के कमजोर पड़ने के बाद भाजपा बंगाल में खुद को टीएमसी का मुख्य प्रतिद्वंद्वी मान रही है। इसी के चलते वह ममता सरकार पर पहले से ज्यादा हमलावर हो गई है।