कांग्रेस ने भाजपा पर ही पार्टी के निलंबित नेता और पूर्व दर्जा धारी मंत्री के बेटे को बचाने का आरोप लगाया है और इसके लिए सबूत मिटाने के आरोप लगाए हैं। साथ ही कहा है कि राज्य सरकार के इशारे पर इस मामले की जांच कर रहे विशेष पुलिस बल एसआइटी द्वारा वीआइपी को बचाने का कार्य किया जा रहा है। कथित वीआइपी को बचाने के लिए दस्तावेजों में उलटफेर किया गया है।

अंकिता हत्याकांड को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सोमवार दोपहर 12 बजे से 24 घंटे का धरना देहरादून के गांधी पार्क में गांधी प्रतिमा के सामने दिया जो मंगलवार की दोपहर 12 बजे समाप्त हुआ। रावत ने अंकिता को न्याय दिलाने की मांग की।उन्होंने राज्य सरकार पर अंकिता के हत्यारों को बचाने के लिए सबूत मिटाने का आरोप लगाया।

वहीं रावत के धरने से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उनके समर्थक दूर रहे। रावत का धरना कांग्रेस का ना होकर केवल उनके गुट का रह गया। कांग्रेस पार्टी बंटी हुई नजर आई।

रावत पर हमलावर सरकार

दूसरी ओर राज्य सरकार और भाजपा संगठन ने हरीश रावत पर जवाबी हमला करते हुए उनके धरने को पाखंड बताया। राज्य के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरीश रावत के पास कोई काम धाम तो है नहीं और वे अपना समय काटने के लिए कुछ न कुछ नौटंकी करते रहते हैं। दूसरे कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास ने कहा कि रावत अंकिता हत्याकांड को लेकर चल रही न्यायालय प्रक्रिया को बाधा पहुंचाने के लिए सड़क चौराहे पर बैठ रहे हैं। उन्हें देश की न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। वे राज्य का माहौल खराब कर रहे हैं।

राज्य की तीसरी कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने भी कहा कि रावत खाली बैठे हुए हैं और उनका काम बयान और धरना देना रह गया है ताकि वे मीडिया में बने रहें। उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि हरीश रावत अंकिता भंडारी के बलिदान को लेकर राजनीतिक फायदा ढूंढ रहे हैं। इससे बड़ा अनैतिक कार्य कोई नहीं हो सकता। राज्य सरकार अंकिता के हत्यारों को हर हाल में कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए लगी हुई है।

हरीश रावत के आरोप

देहरादून की हाड़ कंपाती सर्दी में 24 घंटे के रात दिन के धरने पर बैठे रावत का कहना है कि भाजपा के निलंबित ताकतवर राजनेता डाक्टर विनोद आर्य के बेटे और पौड़ी गढ़वाल जिले के तल्ला भोगपुर गांव में स्थित वंतरा रिजार्ट के मालिक तथा अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य को बचाने के लिए राज्य सरकार और भाजपा के नेताओं के इशारे पर सबूत मिटाने के प्रयास किए गए।

इतना ही नहीं वीआइपी को बचाने के लिए रिजार्ट के सुइट का नाम वीआइपी सुइट रखकर किसी विशिषट को बचाने का प्रयास किया गया। रावत सवाल करते हैं कि वंतरा रिजार्ट पर बुलडोजर किसके आदेश पर चलाया गया। रिजार्ट सील क्यों नहीं किया गया। रिजार्ट में पुलिस प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद दो बार आग कैसे लगी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रावत अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआइ जांच और वीआइपी के नाम का खुलासा करने की मांग करते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। साथ रावत ने कहा कि सरकार वीआइपी को रिजार्ट का कक्ष बताने वाले बयान को वापस ले। अंकिता हत्याकांड मामले में जनता सवालों का जवाब चाहती है।

अंकिता हत्याकांड की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को लेकर अंकिता के माता-पिता और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नैनीताल उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसे नैनीताल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकल पीठ ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया और इस कांड की जांच कर रहे विशेष पुलिस बल (एसआइटी) की जांच पर संतोष जाहिर किया। उच्च न्यायालय के फैसले से अंकिता के परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को करारा झटका लगा।

हत्याकांड से मचा था राज्य में बवाल

उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर विकासखंड के गांव गंगा भोगपुर तल्ला में स्थित वंतरा रिजार्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली पौड़ी जिले की ही रहने वाली 19 साल की अंकिता भंडारी को इस साल 18 सितंबर को वंतरा रिजार्ट संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित के साथ मिलकर ऋषिकेश के निकट चीला बिजली घर की शक्ति नहर में कुनाउ पुल से उसे धक्का देकर मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद पूरे उत्तराखंड में जबरदस्त आंदोलन छिड़ गया था।

विपक्ष ने लगाया सबूत छुपाए जाने का आरोप

अंकिता हत्याकांड की जांच पुलिस उपमहानिरीक्षक पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता वाली एसआइटी कर रही थी। पौडी गढवाल के रहने वाले आशुतोष नेगी ने नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि पुलिस और एसआइटी मामले के महत्त्वपूर्ण साक्ष्यों को छिपा रहे हैं और अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।