हर वर्ष की तरह श्रीराम भारतीय कला केंद्र की ओर से रामलीला ‘श्रीराम’ का आयोजन किया गया है। इस वर्ष इस समारोह का बासठवां वर्ष है। केंद्र की निदेशक शोभा दीपक सिंह कहती हैं कि लगभग चार दशक से राजधानी दिल्ली के लोग इस आयोजन को देख रहे हैं। परंपरा को कायम रखते हुए कुछ एनिमेशन, सेट और कलाकारों के वेश-भूषा में परिशोधन और परिष्कार किया है। ताकि वह आकर्षक और समीचीन लगे। कई दृश्यों में संयोजित नृत्य नाटिका रामलीला का आरंभ विश्वमित्र मुनि के आश्रम के दृश्य से होता है। मुनि लव-कुश के साथ बातचीत कर रहे होते हैं कि तभी आहत क्रौंच पक्षी को वह देखकर व्याकुल हो जाते हैं। इसके बाद अयोध्या नगरी के दृश्य के साथ गीत ‘राजा राम की अयोध्या नगरी सबसे न्यारी है’ गूंजती है। यहीं संवाद ‘तब धरती का भार घटाने मनुज लेता अवतार’ के साथ सर्प-शैया पर विराजित विष्णु के स्वरूप को दर्शाया जाता है।
पहले अंश में राम के जन्म से लेकर विवाह तक के दृश्यों को दर्शाने के लिए कई गीतों, संवादों और रामचरितमानस के दोहों का प्रयोग किया जाता है। शुरुआत रामचरितमानस के बालकांड के श्लोक गायन से होती है। इसके बाद, ‘जन्म लिए चारों भइया अवधपुर बाजे बधइया’, ‘सलोने राम लखन की जय’, ‘जन उद्धारक रामानंदम’, ‘सखी ये कितना सुंदर वर है, सिया के योग्य यही वर है, ‘जनक ने रचा स्वयंवर है’, ‘सीता अवधपुर जाए, हो रामा’ गीतों पर आधारित इस प्रस्तुति में अच्छा प्रवाह प्रतीत होता है। इस पेशकश में रामचरितमानस के अनेक दोेहे व चौपाइयां-‘भए प्रकट कृपाला’, ‘सब सुत प्रिय मोहे प्राण की नार्इं’, ‘तेहिं अवसर सिय तहं आर्इं’, ‘चली सिय ले सखी सयानी’, ‘श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन’ का प्रयोग प्रसंगों के अनुकूल था। राम और लक्ष्मण द्वारा विश्वमित्र के साथ वन गमन के दृश्य को मोहक अंदाज में दर्शाया गया। इस अंश में कलाकारों ने चक्षुषोपनिषद के श्लोक ‘असतोमा सद्गमय’ व तराने पर छऊ नृत्य का सुंदर समावेश किया। इस अंश में वीर रस का अच्छा समावेश नजर आया।
सीता स्वयंवर, अहिल्या उद्धार, कैकई-दशरथ संवाद, केवट संवाद, भरत मिलाप, जटायु वध, सीता की अग्निपरीक्षा, राम की शक्ति पूजा, राम-रावण युद्ध आदि राम के जीवन के प्रसंगों को बहुत संक्षिप्त में व्यापक तरीके से पेश किया गया। कथक, छऊ, कथकली, भरतनाट्यम और लोकनृत्य की छटा लिए यह प्रस्तुति मनोरम और मनोहारी थी। श्रीराम भारतीय कलाकेंद्र की ओर से 62वें रामलीला के भव्य आयोजन की शुरुआत दस अक्तूबर को हुई। यह पांच नवंबर तक चलेगा। इस आयोजन से जुड़े बहुत से कलाकार मसलन सुमित्रा चरितराम, केशव कोठारी, शांति शर्मा, नीलाभ मिश्र अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन, उनकी कला की छाया को संगीत, नाट्य और नृत्य के रूप में लोग आज भी देख-सुन रहे हैं। रामलीला में नृत्य संयोजन गुुरु शशिधर आचार्य और राजकुमार ने किया है। जबकि, संगीत शास्त्रीय गायिका शांति शर्मा और सरोद वादक पंडित विश्वजीत राय चौधरी का है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र चित्रण के क्रम में बहुत सशक्त और भावपूर्ण संवादों को नीलाभ अश्क ने लिखा है। केंद्र की निदेशक शोभा दीपक सिंह कहती हैं कि लगभग चार दशक से राजधानी दिल्ली के लोग इस आयोजन को देख रहे हैं। प्रधानमंत्री, संस्कृति मंत्री और लगभग सभी वर्ग के कलाकार सालों से इसे देखने आते रहे हैं।

