महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले केन्द्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास अठावले ने मीडिया को बयान देकर फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है। वर्तमान में अठावले राज्यसभा से संसद के सदस्य हैं, राज्यसभा में उनका कार्यकाल अगले वर्ष ख़त्म हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में अठावले मंत्री पद पर हैं।
केंद्र में मंत्री हैं अठावले: रामदास अठावले केंद्र की मोदी सरकार में समाज कल्याण राज्य मंत्री हैं, उनकी पार्टी भाजपा को केंद्र सरकार में समर्थन देती है लेकिन महाराष्ट्र चुनाव से पहले एक विवाद खड़ा हो गया है।
गठबंधन में चाहिए 10 सीट : बता दें कि 2019 अक्टूबर में महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर चुनाव होना है जिसके लिए प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन तय है, इसी गठबंधन में अठावले अपनी पार्टी के लिए 10 सीटों की मांग कर रहे हैं।
‘कमल’ निशान पर सहमति नहीं : केन्द्रीय मंत्री अठावले के अनुसार वे कमल के निशान पर यह चुनाव नहीं लड़ेगी, अठावले का कहना है कि इस चुनाव में वे अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह को जनता के बीच लेकर जायेंगे।
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इन सीटों पर है खींचतान : सीटों को लेकर पार्टियों की आपसी कश्मकश में RPI की ओर से कुछ सीटों के नाम पेश किया हैं जहाँ पार्टी इस चुनाव में अपने उम्मेदवार उतारना चाहती है. इसमें मराठवाड़ा की Kej, Udgir, Delgur, Gangakhed तथा विदर्भ की Badnera, Bhandara, Chandrapur, Umerkhed, उत्तरी Nagpur, Pandharkavada, Aarni, Mehekar, Badnera सीट शामिल हैं, साथ ही पश्चिमी महाराष्ट्र में पिंपरी, पुणे कैंट, मालसेज,मोहोल,फल्टन तथा मुंबई-कोंकण क्षेत्र से भुसावल, मानखुर्द, करजत, और खालापुर सीट शामिल हैं।
पिछली बार हार गए थे उम्मीदवार : 2014 विधानसभा चुनाव में अठावले की RPI ने अपनी मर्ज़ी से आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर उनके सभी उम्मीदवार हार गए थे हालांकि अभी भी भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन की औपचारिक पुष्टि होना बाकी है क्योंकि अभी एनी दलों को भी सीट बनते जाना बाकी है जिसके बाद जाकर ही तस्वीर साफ हो पायेगी, इन दलों में अठावले की RPI के अलावा शिवसंग्राम पार्टी, राष्ट्रीय समाज पार्टी और स्वाभिमानी पार्टी शामिल हैं।
शिवसेना पर नहीं पड़ेगा फर्क : बता दें कि राज्य में करीब 288 सीटें हैं जिनपर भाजपा छोटी पार्टियों से गठबंधन कर अपने चुनाव निशान तले चुनाव में इस बार चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति में है। वहीं सीटों के बंटवारे के सवाल पर शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि राज्य में गठबंधन के अधिकांश घटक दल भाजपा के करीब ज़रूर हैं लेकिन इसके चलते शिवसेना किसी भी हाल में अपनी सीटों पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।
