2019 लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में एक हो सकते हैं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी। दरअसल इस बात के संकेत दिए हैं समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने। रामगोपाल ने कहा कि सभी जानते हैं कि महागठबंधन बनने जा रहा है। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा सबसे ज्यादा जरूरी हैं। अखिलेश जी और मायावती जी ही तय करेंगे कि गठबंधन किसके साथ करना है।
भाजपा को नुकसान: अगर पुराने हालात पर नजर डालें तो गोरखपुर और फूलपुल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा ने सपा उम्मीदवार को वोट देने की अपील की। कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार को समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने समर्थन दिया। गौरतलब है कि तीनों ही जगह भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा था।
2019 का अंदाजे गणित: 2019 लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा-रालोद या फिर सपा- बसपा- कांग्रेस- रालोद के बीच गठबंधन हो सकता है और किसी भी तरह के गठबंधन होने का सीधा असर भाजपा पर नजर आएगा। अगर विपक्षी एक साथ आते हैं तो 2014 की स्थिति के हिसाब से भाजपा को 53 सीटों का नुकसान हो सकता है।
पार्टी- 2014 की सीटें 2019 (सपा-बसपा-कांग्रेस- रालोद) 2019 सपा- बसपा- रालोद
भाजपा 73 20 25
सपा 05 60 53
कांग्रेस 02 00
बसपा 00 02
उदाहरण से समझिए:
– वरुण गांधी ने 2014 में 4,10,348 वोट पाकर सुल्तानपुर सीट से चुनाव जीता। बसपा के पवन पांडे को 2,31,446 वोट जबकि सपा के शकील अहमद को 2,28,144 वोट मिले। अब अगर 2019 में दूसरे नंबर पर रहीं बसपा अपना उम्मीदवार उतारती है और सपा के वोट भी बसपा उम्मीदवार को ट्रांसफर हो जाते हैं। ऐसे में वोटों का आंकड़ा 4, 59, 590 हो जाएगा। इस हिसाब से वरुण गांधी की हार तय है।
– वहीं सुल्तानपुर में कांग्रेस की अमिता सिंह को 41, 983 वोट मिले थे और वो चौथे नंबर पर रहीं थी। ऐसे में विपक्ष के कुल वोट जीत के वोट से अधिक पहुंच जाते हैं।
– सुल्तानपुर के अलावा मिर्जापुर से जीतीं केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को भी 2014 में सपा- बसपा और कांग्रेस को मिले कुल वोट से कम वोट मिले थे।
– ऐसे में साफ है कि किसी भी हालात में गठबंधन का सीधा और बड़ा असर भाजपा पर देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा दोनों ही बड़ी पार्टी हैं। वहीं इनका आपस में और कांग्रेस- रालोद के साथ महागठबंधन पूरा चुनावी समीकरण ही बदल देगा।

