कांग्रेस के राज्य सभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि इतिहास में यदुवंशियों के शौर्य और बलिदान को देखते हुए भारतीय सेना में ‘अहीर रेजिमेंट’ की स्थापना होनी चाहिए। उन्होंने संसद में इसकी मांग उठाई है। उनका कहना है कि यदुवंशी समाज की शौर्य गाथा को समझने की जरूरत है। राष्ट्ररक्षा करने में वे कभी पीछे नहीं रहे। इसके लिए उन्होंने अप्रतिम बलिदान दिया है। उनके सम्मान में भारतीय सेना में एक अहीर रेजिमेंट होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना में पहले से कई जाति आधारित रेजिमेंट हैं, ऐसे में एक और रेजिमेंट की स्थापना से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कहा सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
अहीरवाल क्षेत्र के नाम से मशहूर दक्षिण हरियाणा के लोगों ने भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर पिछले दिनों गुरुग्राम के खेड़की दौला में विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और गुरुग्राम के सांसद ने भी भारतीय सेना में ‘अहीर रेजिमेंट’ के गठन की मांग का ‘पूरी तरह’ समर्थन किया है। खेड़की दौला में विरोध प्रदर्शन स्थल पर उन्होंने कहा है कि, “मैं सेना में एक अहीर रेजिमेंट की मांग का पूरा समर्थन करता हूं। मैंने रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) को पत्र लिखा है और इस मांग के संबंध में उनसे मुलाकात भी की है। मैं भविष्य में इस मुद्दे को उठाना जारी रखूंगा।”
उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि मांग को पूरा करना एक लंबी लड़ाई होगी। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सेना में कई जाति-आधारित रेजिमेंट हैं और एक और को जोड़ने से कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा, न केवल महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी (हरियाणा), बल्कि उत्तर प्रदेश के लोग भी अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग कर रहे हैं। मैंने हमेशा इसका अतीत में समर्थन किया है और भविष्य में भी करता रहूंगा। इसके अलावा कई दूसरे संगठन भी आंदोलन में जुटे हैं।
1857 के सिपाही विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सेना में जाति और क्षेत्र-आधारित भर्ती की योजना बनाई थी इसी के तहत जोनाथन पील आयोग को वफादार सैनिकों की भर्ती के लिए सामाजिक समूहों और क्षेत्रों की पहचान करने का काम सौंपा गया था।