राजीव महर्षि सत्ता के गलियारों में एक जाना-पहचाना नाम हैं, जिन्होंने एक सिविल सेवक के रूप में अपने चार दशक लंबे करियर के दौरान कई हाई-प्रोफाइल पदों पर काम किया है – वित्त सचिव से लेकर गृह सचिव से लेकर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) तक। हालांकि, जो बात इतनी प्रसिद्ध नहीं है, वह अचार बनाने का उनका जुनून है, जिसे अब ‘Pickley–Taste of Dada’ ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राजीव महर्षि ने बताया कि वो अगस्त 2020 में सीएजी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने 1990 के दशक में एक संयुक्त सचिव के रूप में अचार बनाने को एक शौक के रूप में चुना।
1978 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा, “मैंने शौक के तौर पर अचार बनाना शुरू किया। मैंने किसी से कोई नुस्खा नहीं लिया। मैं अपने स्वाद के अनुसार अपनी खुद की रेसिपी बनाता हूं। मैंने किसी से नहीं सीखा। व्यंजन मेरे अपने हैं।”
महर्षि ने कहा, “मुझे नहीं पता कि अचार बनाते समय कितना नमक, मेथी दाना, सौंफ (सौंफ) मिलाया जाना चाहिए, लेकिन मैं मात्रा का अनुमान लगाता हूं और यह अच्छी तरह से काम करता है।’ उन्होंने कहा कि भगवान की देन है, वो अंदाज हमशा सही बैठा है, गलत कभी नहीं होता है। इसको भगवान का दिया हुआ उपहार ही कहेंगे कि मेरा अनुमान कभी गलत नहीं होता।
महर्षि ने अपने बचपन के दिनों के याद करते हुए बताया कि जब वह छोटे थे तो उनकी मां विनीता महर्षि उन्हें बताती थीं कि खाना बनाना पुरुषों का काम नहीं है। महर्षि ने पहली बार खाना पकाने में हाथ तब आजमाया, जब उन्होंने 1977 में एक व्याख्याता के रूप में सेंट स्टीफन कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने आईएएस में शामिल होने तक लगभग एक साल तक कॉलेज में पढ़ाया। उन्होंने आगे कहा कि मैं कॉलेज में अपने फ्लैट में खाना बनाता था।
राजीव महर्षि आगे बताते हैं, ‘बाद में जब मैं केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव बना तो अचार बनाना शुरू किया। यह एक बेहतरीन स्ट्रेस बस्टर था। पूरे हफ्ते काम करने के बाद मैंने वीकेंड पर अचार बनाने का शौक शुरू किया। इसने राहत प्रदान की और मुझे बेहतर महसूस कराया। यह बहुत दिलचस्प था।’
उन्होंने बताया, ‘पहले मेरे परिवार को अचार का स्वाद पसंद आया, बाद में दोस्तों को भी पसंद आया। इसलिए अचार की मात्रा बढ़ती रही। मेरी मां और मौसी को भी मेरे द्वारा बनाए गए अचार बहुत पसंद थे। मैंने सोचा कि अगर मेरी चाची इसकी तारीफ कर रही हैं, तो यह अच्छा ही होगा’।
महर्षि ने कहा, ‘लगभग दो साल पहले उनकी बहू आस्था जैन ने ‘Pickley–Taste of Dada’ ब्रांड नाम के तहत अपने घर का बना अचार बेचने का फैसला किया। वह अचार की मार्केटिंग करती है। पहले उसने एक वेबसाइट रजिस्टर की। उसके बाद वो आचार के मार्केटिंग का काम देखने लगीं।
उन्होंने बताया कि वेबसाइट पर आम, बैगन, करेला, मिर्च, नींबू, कटहल आदि सहित अचार की 20 से अधिक किस्मों की सूची है, जो बिना प्याज या लहसुन के तैयार की जाती हैं।
राजस्थान के भरतपुर के मूल निवासी महर्षि ने कहा, ‘हम शाकाहारी हैं… हम बिना प्याज या लहसुन के खाना बना सकते हैं।’ ‘मैं घरेलू मसालों और सरसों के तेल का उपयोग करता हूं। मैं भरतपुर से एक विशेष ब्रांड का सरसों का तेल खरीदता हूं – यह महंगा है लेकिन मैं केवल इस तेल का उपयोग करता हूं।’
अचार का स्वामित्व शौर्य अचार और मसाला एलएलपी नाम की एक कंपनी के पास है, जिसका नाम महर्षि की बहू ने रखा है। जिसका नाम उनके पोते शौर्य के नाम पर रखा गया था। महर्षि के अचार की पुष्टि करने वालों में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत हैं, जिनका निजी पसंदीदा कटहल का अचार है।