राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के लगभग एक महीने बाद, 22 मंत्रियों ने आज शपथ ले ली है। इनमें से 12 कैबिनेट और पांच राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पांच राज्य मंत्री बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा ने 15 दिसंबर को शपथ ली थी।

कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमलावर थी और मंत्रीमंडल में देरी पर सवाल उठा रही थी। अगर राजस्थान में नई सरकार में शामिल किए गए मंत्रियों के नामों पर नजर डालेंगे तो यहां भी कई नए नाम दिखाई देते हैं। 22 मंत्रियों में से केवल पांच कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, मदन दिलावर और किरोड़ी लाल मीणा के साथ-साथ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेंद्र पाल सिंह टीटी और राज्य मंत्री ओटाराम देवासी ने राज्य में पिछली भाजपा सरकारों में मंत्रालय संभाले हैं।

खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के वफादार माने जाने वाले ओटाराम देवासी ने पहले भी वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल के दौरान राज्य में मंत्रालय संभाला था। हालांकि उनके पिछले अनुभव के बावजूद उन्हें स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री या कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया है।

क्या खास बात है?

एक खास बात इस लिस्ट में यह देखी जा सकती है कि नए मंत्रियो में कुमावत, पटेल, रावत, बिश्नोई और माली जैसी जातियां (जो मूल ओबीसी नहीं हैं) पर भाजपा ने ध्यान केन्द्रित किया है। शपथ लेने वाले 10 कैबिनेट मंत्रियों में से चार मंत्री जोराराम कुमावत, सुरेश रावत, केके विश्नोई, अविनाश गहलोत और जोगाराम पटेल ऐसी जातियों से हैं।

इसके अलावा OBC वर्ग की बात की जाए तो दो कैबिनेट मंत्रियों समेत चार जाट मंत्रियों ने भी शपथ ली है। राज्य में सबसे पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत गुर्जर समुदाय से भी एक मंत्री बनाया गया है। तीन मंत्री आदिवासी समुदाय से हैं जबकि तीन अन्य दलित समुदाय से हैं। डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा भी दलित समुदाय से हैं। डिप्टी सीएम दीया कुमारी सहित तीन राजपूत मंत्री भी हैं।