राजस्थान में 2 अप्रैल को हुई करौली हिंसा की चिंगारी अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। राजनीतिक दल लगातार इस हिंसा पर राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि हिंसा के बाद कुछ हिंदू परिवार करौली से पलायन कर गए हैं। वहीं सरकार ने पलायन की बात को नकार दिया है। हिंसा वाले स्थान पर बीजेपी न्याय यात्रा निकाल रही है तो वहीं अशोक गहलोत सरकार में मंत्री ने बीजेपी नेताओं को खुली धमकी दी है।
दरअसल बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने राजस्थान के करौली जाने का प्रयास किया था जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश की थी। काफी बवाल होने के बाद पुलिस ने उन्हें करौली जाने की इजाजत तो दी लेकिन कई शर्तों और चेतावनी देने के बाद पुलिस ने उन्हें इजाजत दी।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “मुख्यमंत्री जी की ओर से और प्रशासन की ओर से मैं स्पष्ट रुप से कहना चाहता हूं कि धारा 144 का उल्लंघन हम किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे। सरकार अपना काम करती रहेगी और अगर इन्होंने (बीजेपी नेता) कोई दंगा फैलाने की कोशिश की और अनर्गल कोई भाषण देने की कोशिश की, तो इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी।”
13 अप्रैल को राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने करौली में घटनास्थल का दौरा किया था और हिंसा में पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही करौली जला है और शोभा यात्रा पर षडयंत्र पूर्वक पथराव किया गया है। वसुंधरा राजे ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस ने घायल हुए लोगों पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया और प्रशासन के इस रवैये से लोग भयभीत हैं।
क्या हुआ था करौली में?: 2 अप्रैल को करौली में हिंसा हुई थी। नवसंवत्सर के दिन जब क्षेत्र के लोगों ने मोटरसाइकिल रैली निकाली थी, उस दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने रैली पर पथराव किया था और उसके बाद कुछ दुकानों में आग लगा दी गई थी। हिंसा में कई लोग घायल हुए थे। इसके बाद बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाया था कि 195 परिवारों ने भय के कारण करौली से पलायन कर लिया है।